Google Doodle Sivaji Ganesan: 1 अक्टूबर, शुक्रवार को दिवंगत अभिनेता शिवाजी गणेशन की 93वीं जयंती है, और Google ने महान अभिनेता का डूडल बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी है। Google ने बताया कि बेंगलुरु की कलाकार नूपुर राजेश चोकसी ने यह डूडल बनाया है। गणेशन का जन्म 1 अक्टूबर, 1928 को तत्कालीन ब्रिटिश भारत के मद्रास प्रेसीडेंसी (वर्तमान तमिलनाडु) के विल्लुपुरम में गणेशमूर्ति के रूप में हुआ था। महज सात साल की उम्र में उन्होंने एक थिएटर ग्रुप में शामिल होने के लिए अपना घर छोड़ दिया। दिसंबर 1945 में, गणेशमूर्ति ने “शिवाजी कांडा हिंदू राज्यम” नामक एक नाटक में मराठा शासक शिवाजी को चित्रित किया। उनका प्रदर्शन ऐसा प्रतिष्ठित था कि नाम उनके साथ जुड़ गया, और गणेशमूर्ति ने “शिवाजी” का उपनाम अर्जित किया, जिसे उनके शेष जीवन के लिए उस नाम से जाना जाता था।
वह मुख्य रूप से तमिल सिनेमा में सक्रिय थे, जहां उन्होंने 1952 की “पराशक्ति” से अपनी शुरुआत की, गणेशन ने लगभग 300 फिल्मों में काम किया, जिनमें तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और हिंदी भाषा की फिल्में शामिल हैं। लगभग पांच दशकों के करियर में, उन्होंने कई पुरस्कार जीते, और एक अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह (काहिरा, मिस्र में एफ्रो-एशियन फिल्म फेस्टिवल) में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीतने वाले पहले भारतीय अभिनेता थे, जिन्होंने 1960 के दशक में अपनी “वीरपांडिया कट्टाबोम्मन” के के लिए जीत अवॉर्ड जीता था।”
दिसंबर 1945 में, गणेशन ने 17वीं शताब्दी के भारतीय राजा शिवाजी का कैरेक्टर प्ले किया और रातोंरात फेमस हो गए. उनके काम को खूब सराहा गया और उनको शिवाजी नाम दे दिया गया, क्योंकि उनकी एक्टिंग ने सभी का दिल जीत लिया था.
अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कार उनके करियर के अंत के करीब आए. 1995 में, फ्रांस ने उन्हें अपने सर्वोच्च सम्मान, शेवेलियर ऑफ़ द नेशनल ऑर्डर ऑफ़ द लीजन ऑफ़ ऑनर से सम्मानित किया।
1997 में भारत सरकार ने उन्हें दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जो सिनेमा के क्षेत्र में भारत का सर्वोच्च पुरस्कार है. आज भी उनकी एक्टिंग की खूब तारीफ होती है और मौजूदा एक्टर उनको अपना इंस्पिरेशन मानते हैं।
इसी तरह 1995 में फ्रांस ने उन्हें अपने सर्वोच्च सम्मान, शेवेलियर ऑफ़ द नेशनल ऑर्डर ऑफ़ द लीजन ऑफ़ ऑनर से सम्मानित किया. 1997 में भारत सरकार ने उन्हें दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जो सिनेमा के क्षेत्र में भारत का सर्वोच्च पुरस्कार है.
1960 में, गणेशन ने अपनी ऐतिहासिक फिल्म “वीरपांडिया कट्टाबोम्मन” के लिए एक अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीता और इसी के साथ वह इतिहास में यह पुरस्कार जीतने वाले भारत के पहले कलाकार बन गए.
उनकी सबसे प्रसिद्ध ब्लॉकबस्टर में ट्रेंडसेटिंग 1961 की फिल्म “पसमालर” थी. जो एक भावनात्मक, पारिवारिक कहानी थी, जिसे तमिल सिनेमा के अंदर सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक माना गया और 1964 की फिल्म “नवरथी” गणेशन की 100 वीं फिल्म जिसमें उन्होंने नौ अलग-अलग भूमिकाएं निभाई।
उन्होंने 1952 की फिल्म “पराशक्ति” में अपनी ऑन-स्क्रीन शुरुआत की, जो लगभग पांच दशक के सिनेमाई करियर में उनकी 300 से अधिक फिल्मों में से पहली थी. तमिल भाषा के सिनेमा में अपनी आवाज और अभिनय के लिए प्रसिद्ध, गणेशन जल्दी ही अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर गए।
गणेशन, जिन्होंने राजनीति में भी काम किया, उन्हें लॉस एंजिल्स टाइम्स ने “दक्षिण भारत के फिल्म उद्योग के मार्लन ब्रैंडो” के रूप में वर्णित किया। 21 जुलाई 2001 को 72 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।