Rudolf Weigl (रूडोल्फ़ वेइगल) Google Doodle: गूगल ने आज डूडल बनाकर पोलिश आविष्कारक, डॉक्टर और इम्यूनोलॉजिस्ट रूडोल्फ़ वेइगल का 138वां जन्मदिन मना रहा है। रूडोल्फ़ वेइगल ने लंबे समय तक महामारी टाइफस की वैक्सीन पर काम किया और दुनिया को उससे निजात पाने के लिए वैक्सीन दी। उनके काम को एक नहीं बल्कि दो बार नोबेल पुरस्कार के नामांकित किया गया, लेकिन एक बार भी नहीं मिला। 1936 में, वीगल के टीके ने अपने पहले लाभार्थी को सफलतापूर्वक टीका लगाया।
रूडोल्फ़ वेइगल का जन्म 2 सितंबर 1883 को मोराविया के परेरोव में हुआ था जो उस समय ऑस्ट्रो-इंगेरियन साम्राज्य का हिस्सा था। उनका मातापिता ऑस्ट्रियन-जर्मन थे। रूडोल्फ़ वेइगल जासलो पोलैंड में पले बढ़े। जर्मन बोलने वाले वेइगल ने फिर पोलिश भाषा और संस्कृति को ही अपना लिया। वेइगल बाद में लिविव चले गए जहां 1907 में उन्होंने जीवविज्ञान में स्नातक की पढ़ाई की। उसके बाद उन्होंने जूलॉजी में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की।
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दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी ने पोलैंड पर कब्जा कर लिया था तो वेइगल को एक वैक्सीन प्रोडक्शन प्लांट खोलने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस अवधि के दौरान वेइगल के काम के कारण लगभग 5000 लोगों को बचाया गया था। देशभर में इस बिमारी के हजारों वैक्सीन को वितरित किया गया था।
एक समय टाइफस-संक्रमित बैक्टीरिया रिकेट्सिया प्रोवाज़ेकी के वाहक शरीर के जूं की वैक्सीन तलाशी जा रही थी। रूडोल्फ़ वेइगल ने इस छोटे कीट को एक प्रयोगशाला में अनुकूलित किया अपने शोध से पता किया कि घातक जीवाणुओं को फैलाने के लिए जूँ का उपयोग कैसे किया जाता है।
डूडल में वीगल को अपने हाथों में टेस्ट ट्यूब पकड़े हुए दिखाया गया है. दीवार पर एक तरफ जूँ और दूसरी तरफ एक मानव शरीर के चित्र हैं. इलस्ट्रेटर ने डूडल में माइक्रोस्कोप, बन्सन बर्नर पर बीकर और होल्डर में टेस्ट ट्यूब सभी को एक लैब टेबल पर रखा है.
आज, रूडोल्फ़ वेइगल को एक उल्लेखनीय वैज्ञानिक और एक नायक के रूप में व्यापक रूप से सराहा जाता है। उनके काम को दो नोबेल पुरस्कार नामांकन से सम्मानित किया गया है।
पूर्वी यूरोप में लाखों लोग टाइफस से त्रस्त थे, इसलिए रूडोल्फ़ वेइगल ने इसको रोकने का संकल्प किया। उनके इनोवेटिव रिसर्च से पता चला कि घातक जीवाणुओं को फैलाने के लिए जूं का उपयोग कैसे किया जाता है।
Rudolf Stefan Weigl का जन्म ऑस्ट्रो-हंगेरियन शहर प्रेज़ेरो में - आधुनिक चेक गणराज्य में - 2 सितंबर, 1883 को हुआ था. उन्होंने पोलैंड के Lwow University में जैविक विज्ञान का अध्ययन किया और 1914 में, उन्हें पोलिश आर्मी में एक परजीवी विज्ञानी के रूप में नियुक्त किया गया.
टाइफस भले ही कोरोना वायरस जितना खतरनाक न हो, लेकिन 20वीं सदी की शुरुआत में इसने कई लोगों की जान भी ले ली। रूडोल्फ़ वेइगल एक दूरदर्शी व्यक्ति थे जो दवाओं के क्षेत्र में आगे के शोध के मूल्य को जानते थे और यह आने वाले दशकों में जीवन की गुणवत्ता को कैसे प्रभावित कर सकता है, इसलिए उन्होंने लविवि में एक शोध संस्थान की भी स्थापना की।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान टाइफस के टीके पर रूडोल्फ़ वेइगल के काम ने अनगिनत लोगों की जान बचाई।