उच्‍च शिक्षा के लिए देश के सबसे पुराने संस्‍थानों में से एक पंजाब यूनिवर्सिटी अगले साल जनवरी तक बंद हो सकती है। कुलपति (वीसी) अरुण कुमार ग्रोवर ने शनिवार को कहा कि अगर केन्‍द्र फंड नहीं जारी करता है, तो ऐसा हो सकता है। सीनेट की बैठक में ग्रोवर ने कहा, ”सदन को इस बात पर चिंतित होना चाहिए कि अगर सरकार अपना संशोधित नॉन-प्‍लान बजट नहीं क्लियर करता है तो अगले सेमेस्‍टर के बाद, 1 जनवरी 2017 को विश्‍वविद्यालय बंद हो जाएगा।” बैठक में, सीनेट में वर्तमान वित्‍त वर्ष के लिए 502.11 करोड़ रुपए का संशोधित बजट मंजूर किया, इसमें 277 करोड़ का घाटा दर्शाया गया है। अगस्‍त में वित्‍तीय संकट से उबरने के लिए, ग्रोवर ने केन्‍द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री से मुलाकात कर विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा फंड रिलीज कराने को कहा था। यूजीसी ने दो किश्‍तों में 90 करोड़ रुपए दिए हैं। एक बार जून में और दूसरी बार जावड़ेकर की अपील पर।

सीनेटर और सिंडिकेट के सदस्‍य दयाल प्रताप सिंह रंधावा ने कहा, ”सीनेट को एक प्रस्‍ताव पारित कर विश्‍वविद्यालय में केन्‍द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री को आमंत्रित करना चाहिए ताकि हम उन्‍हें वित्‍तीय संकट के बारे में समझा सकें। सरकार को अपने विश्‍वविद्यालयों को ठीक से धन मुहैया कराने की जरूरत है।” विश्‍वविद्यालय हमेशा से घाटे में रही है, लेकिन 2014 से पहले यूजीसी इस घाटे को 170 करोड़ रुपए के वार्षिक वित्‍तीय से इतर हर साल एड-हॉक ग्रांट से भर देती थी। यूनिवर्सिटी को हर साल पंजाब सरकार से 20 करोड़ रुपए मिलते हैं। फीस व अन्‍य जमीनों के किराए से विश्‍वविद्यालय को 200 करोड़ रुपए मिलते हैं।