New Education Policy 2020: भारतीय जनता पार्टी ने 2014 में चुनाव के घोषणा पत्र में विकास के कई वादों के साथ चुनाव का विगुल बजाया था। उस घोषणा पत्र में नई शिक्षा नीति को लेकर भी वादे किए गए थे। अब नई शिक्षा नीति-2020 को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। जिसकी जानकारी 29 जुलाई, 2020 को सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने प्रेस वार्ता करके दी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है।
इससे पहले राजीव गांधी के कार्यकाल में 1986 में नई शिक्षा नीति को लागू किया गया था। जिसमें 1992 में कुछ संशोधन किए गये थे। इस हिसाब से 34 साल बाद भारत देश में नई शिक्षा नीति लागू हो रही है। इस नई शिक्षा नीति का मसौदा इसरो के प्रमुख के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में विशेषज्ञों ने तैयार किया है। इस नई शिक्षा नीति का लक्ष्य 3 से 18 आयु वर्ग के सभी बच्चों को 2030 तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है।
नई शिक्षा निति में अब जीडीपी का छह प्रतिशत शिक्षा में खर्च किया जाएगा। इससे पहले जीडीपी का 4.43 प्रतिशत शिक्षा में खर्च होता था।
– अभी लागू शिक्षा नीति के अनुसार किसी छात्र को शोध करने के लिए स्नातक, एमफिल और उसके बाद पी.एचडी करना होता था। परंतु नई शिक्षा नीति के लागू होने के बाद जो छात्र शोध क्षेत्र में जाना चाहते हैं वे चार साल के डिग्री प्रोग्राम के बाद सीधे पीएचडी या डीफिल में प्रवेश ले सकते हैं। वहीं जो छात्र नौकरी करना चाहते हैं उनके लिए वही डिग्री कोर्स तीन साल में पूरा हो जाएगा। वहीं शोध को बढ़ृावा देने के लिए और गुणवत्ता में सुधार के लिए नेशनल रिसर्च फाउनंडेशन की भी स्थापना की जाएगी।
– स्नातक में प्रवेश लेने के बाद तीन साल पढ़ाई करना अनिवार्य नहीं होगा। नई शिक्षा निति लागू होने के बाद स्नातक 3 से 4 साल तक होगा। इस बीच किसी भी तरह से अगर बीच में छात्र पढ़ाई छोड़ता है तो उसका साल खराब नही होगा। एक साल तक पढ़ाई करने वाले छात्र को प्रमाणपत्र, दो साल पढ़ाई करने वाले को डिप्लोमा और कोर्स की पूरी अवधि करने वाले को डिग्री प्रदान की जाएगी।
– उच्च शिक्षा में 3.5 करोड़ नई सीटों को जोड़ा जाएगा। वहीं Gross Enrolment Ratio को 2035 तक पचास फीसदी करने का लक्ष्य है। 2018 के आकड़ों के अनुसार Gross Enrolment Ratio 26.3 प्रतिशत था।
– नई शिक्षा नीति के लागू होने के बाद छात्रों को आजादी होगी की अगर वे किसी कोर्स को बीच में छोड़कर दूसरे कोर्स में प्रवेश लेना चाहते हैं तो वे पहले कोर्स से एक निश्चित समय का ब्रेक ले सकते हैं।
नई शिक्षा नीति का ड्राफ्ट दस्तावेजों के रूप में बेहतर है परंतु इसकी परीक्षा धरातल पर आने के बाद ही होगी। देश के सरकारी स्कूल जहां अभी भी इमारत से लेकर पढ़ाई के स्तर तक जर्जर हालत में हैं, वहीं देश के उच्च शिक्षा संस्थानों के छात्र हाल के समय में ही सरकार के सामने बढ़ रही फीस के मुद्दे को लेकर रियायत की गुहार लगा रहे थे। नई नीति में ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भी प्रावधान किए जाने हैं जबकि देशव्यापी लॉकडाउन के समय यह देखा गया है कि छात्रों की एक बहुत बड़ी संख्या ऑनलाइन शिक्षा की बुनियादी जरूरतों से अभी पूरी तरह वंचित है। ऐसे में, नई शिक्षा नीति देश की शिक्षा व्यवस्था में कितना सुधार कर पाती है, यह जल्द ही देखने को मिलेगा।