New Education Policy 2020: देश में तीन दशक बाद नई एजुकेशन पॉलिसी को मंजूरी मिली है और मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने आज लाइव कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पॉलिसी पर अपने विचार रखे हैं। जैसा कि कहा जा रहा है कि नई पॉलिसी में हिंदी भाषा को अन्य सभी भाषाओं से अधिक महत्व दिया जा रहा है, इसपर रमेश निशंक ने कहा कि सरकार सभी भाषाओं की शिक्षा पर बराबर जोर दे रही है। बता दें कि नई शिक्षा नीति का लक्ष्य 3 से 18 आयु वर्ग के सभी बच्चों को 2030 तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है। नई शिक्षा नीति में अब जीडीपी का छह प्रतिशत शिक्षा में खर्च किया जाएगा। इससे पहले जीडीपी का 4.43 प्रतिशत शिक्षा में खर्च होता था।
अभी लागू शिक्षा नीति के अनुसार किसी छात्र को शोध करने के लिए स्नातक, एमफिल और उसके बाद पी.एचडी करना होता था। परंतु नई शिक्षा नीति के लागू होने के बाद जो छात्र शोध क्षेत्र में जाना चाहते हैं वे चार साल के डिग्री प्रोग्राम के बाद सीधे पीएचडी या डीफिल में प्रवेश ले सकते हैं। वहीं जो छात्र नौकरी करना चाहते हैं उनके लिए वही डिग्री कोर्स तीन साल में पूरा हो जाएगा। शिक्षा मंत्री नई शिक्षा नीति को लेकर आज जो घोषणा करने जा रहे हैं, उसके लाइव अपडेट्स के लिए हमारे साथ बने रहें।

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शिक्षा मंत्री की यह टिप्पणी इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम और द्रमुक सांसद कनिमोझी करुणानिधि ने आरोप लगाया है कि सरकारी अधिकारी उन्हें हिंदी में बोलने के लिए प्रेरित करते हैं और सरकार नई एजुकेशन पॉलिसी के तहत केवल हिंदी भाषा पर जोर दे रही है।
आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश वेबिनार में भाग लेते हुए रमेश निशंक ने कहा, "जो लोग शिक्षा के माध्यम के रूप में मातृभाषा का उपयोग करने के लाभ पर संदेह करते हैं, मैं कहूंगा कि कुछ शीर्ष विकसित देशों ने इसके साथ महान उपलब्धियों को पाया है। हम अंग्रेजी भाषा के खिलाफ नहीं हैं लेकिन हम भारतीय भाषाओं को मजबूत करना चाहते हैं।”
केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने आज सोमवार को कहा, केंद्र सरकार अंग्रेजी भाषा के खिलाफ नहीं है, लेकिन वह भारतीय भाषाओं को मजबूत करना चाहती है।
अभी लागू शिक्षा नीति के अनुसार किसी छात्र को शोध करने के लिए स्नातक, एमफिल और उसके बाद पी.एचडी करना होता था। परंतु नई शिक्षा नीति के लागू होने के बाद जो छात्र शोध क्षेत्र में जाना चाहते हैं वे चार साल के डिग्री प्रोग्राम के बाद सीधे पीएचडी या डीफिल में प्रवेश ले सकते हैं। वहीं जो छात्र नौकरी करना चाहते हैं उनके लिए वही डिग्री कोर्स तीन साल में पूरा हो जाएगा। वहीं शोध को बढ़ृावा देने के लिए और गुणवत्ता में सुधार के लिए नेशनल रिसर्च फाउनंडेशन की भी स्थापना की जाएगी।
NEP ने भारतीय उच्च शिक्षा के दरवाजे विदेशी विश्वविद्यालयों तक खोलने, यूजीसी और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) को खत्म करने, कई वर्षों के विकल्प के साथ चार वर्षीय बहु-विषयक स्नातक कार्यक्रम की शुरूआत और M.Phil कार्यक्रम बंद करने सहित कई व्यापक बदलावों का प्रस्ताव किया है।
नई शिक्षा नीति के तहत 2030 तक देश के 100 प्रतिशत बच्चों को स्कूली शिक्षा में नामांकन कराने का लक्ष्य रखा गया है। अभी भी गरीब और पिछड़े वर्ग के बच्चे बेसिक शिक्षा से वंचित हैं जिन तक शिक्षा का प्रसार बेहद जरूरी है।