राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) के 65वें स्थापना दिवस के मौके पर सोमवार को आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे, जिसमें अपने भाषण के दौरान शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने संस्थान की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि यह सिर्फ किताबें बनाने वाली संस्था नहीं है, बल्कि देश के भविष्य का निर्माण करने वाली इकाई है।

प्रधान ने कहा, “बच्चों को अंग्रेजी में दक्ष होना चाहिए, लेकिन स्पष्टता हमारी अपनी भाषाओं में ही आएगी। एनसीईआरटी की जिम्मेदारी है कि वह देश के लोगों को सक्षम बनाए और ज्ञान के स्तर को बेहतर करे। आप ही राष्ट्र निर्माता हैं।”

उन्होंने राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचे (NCF) का उल्लेख करते हुए कहा कि वर्ष 2000 में एनडीए सरकार के समय बना एनसीएफ और 2005 में यूपीए सरकार के आने के बाद बदला गया एनसीएफ, दोनों के बीच भ्रम पैदा हुआ था।

प्रधान ने कहा, “कुछ लोग जो देश को समझ नहीं पाए, गुलामी की मानसिकता से बंधे थे, उन्होंने स्वावलंबन और आत्मगौरव से वंचित करने की कोशिश की। लेकिन अब एनसीईआरटी इसे सही परिप्रेक्ष्य में ला रहा है।”

एनसीईआरटी के नए मॉड्यूल्स

शिक्षा मंत्री ने एनसीईआरटी के नए मॉड्यूल्स की सराहना की, जिनमें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ शामिल हैं।

पूर्व इसरो चीफ ने एनसीआरटी को दिया सफलता का श्रेय

कार्यक्रम में इसरो (ISRO) के पूर्व अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा, “मैं जो आज हूं, वह केवल एनसीईआरटी की किताबों की वजह से हूं। हमारे बचपन की पढ़ाई, करियर और सपने इन्हीं किताबों ने तय किए। लेकिन उन किताबों में भी कमियां थीं। उस समय देश की धरोहर और वैज्ञानिक उपलब्धियों को उतनी गहराई से नहीं बताया गया था। आज बदलाव हो रहा है और एक नया रूप दिख रहा है।”

सोमनाथ ने कहा कि अब पाठ्यपुस्तकों में भारत की वैज्ञानिक परंपरा और उपलब्धियों को शामिल किया जा रहा है, जिससे नई पीढ़ी देश की विरासत पर गर्व कर सके।