भारत में MBBS की पढ़ाई करने और डॉक्टर बनने का ख्वाब हर साल लाखों स्टूडेंट्स देखते हैं, लेकिन सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सीट नहीं मिलने के कारण यह अधूरा रह जाता है। प्राइवेट कॉलेजों में फीस बहुत ज्यादा होती है जिसे अफॉर्ड कर पाना हर किसी की बस की बात नहीं। ऐसे में ज्यादातर छात्र विदेश में MBBS की पढ़ाई करने निकल जाते हैं। हर साल ऐसे छात्रों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। विदेश में भी MBBS का चलन काफी बढ़ गया है। अधिकतर भारतीय छात्र ही विदेश में एमबीबीएस का कोर्स करने जाते हैं, लेकिन ऐसे छात्रों को यह जरूर जान लेना चाहिए कि इस फैसले से कितना फायदा होता है और कितना नुकसान?
पहले आपको विदेश में MBBS की पढ़ाई करने के फायदे बताते हैं।
मिलती हैं टॉप यूनिवर्सिटी
एब्रॉड में एमबीबीएस का कोर्स करने का सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि आपको टॉप यूनिवर्सिटी में पढ़ने का मौका मिलता है। उन विश्वविद्यालयों में भारत की तरह ही यूनिवर्सिटीज और इंस्टीट्यूट्स छात्रों को बेहतरीन सुविधाएं मिलती हैं। इसके अलावा विदेश में पढ़ने वाले छात्र नोबेल पुरस्कार विजेताओं के साथ भी काम कर पाते हैं।
कम लागत में कोर्स और मोटी होती है सैलरी
एब्रॉड में कई देश ऐसे हैं जहां MBBS की पढ़ाई भारत के मुकाबले काफी सस्ती है। इन देशों में वीजा, ट्यूशन फीस और रहने का खर्च मिलाकर भी भारत के प्राइवेट कॉलेजों से कम होता है। पढ़ाई खत्म होने के बाद छात्र प्रैक्टिस कर पाते हैं और उन्हें अच्छी सैलरी वाली नौकरियां भी मिल जाती हैं। ऐसे देशों में रूस एक सबसे बढ़िया उदाहरण है।
सीटों की संख्या बहुत अधिक
विदेश में मेडिकल सीट हर यूनिवर्सिटी और कॉलेज में पर्याप्त होती हैं। भारत के मुकाबले बाहर कई देशों में मेडिकल सीट पर्याप्त हैं। भारत में सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सीटें काफी कम हैं। प्राइवेट कॉलेजों की फीस बहुत ज्यादा है, जिस वजह से छात्र देश में MBBS नहीं कर पाते हैं। हालांकि, विदेशी यूनिवर्सिटीज में सीटें काफी ज्यादा होती हैं। छात्रों से फीस भी कम ली जाती हैं और पढ़ाई भी अच्छी होती है।
मिल जाती है अच्छी स्कॉलरशिप
बाहर जाकर MBBS की पढ़ाई करने से ये फायदा भी होता है कि आपको कई तरह की अच्छी स्कॉलरशिप और आर्थिक मदद मिल जाती है। वैसे कई दूसरी संस्थाएं भी भारतीय छात्रों को स्कॉलरशिप देती हैं, ताकि वे विदेश में जाकर MBBS की पढ़ाई कर डॉक्टर बन पाएं।
विदेश में MBBS करने के क्या हैं नुकसान?
भारत में प्रैक्टिस नहीं होती आसान
बाहर देश में जाकर MBBS की पढ़ाई करने का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि आपको अगर वापस भारत आकर प्रैक्टिस करनी है तो इसके लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) द्वारा आयोजित FMGE परीक्षा पास करनी होगी। इस एग्जाम को पास करने पर भारत में प्रैक्टिस का लाइसेंस मिलता है।
भाषा की चुनौती आती है सामने
भारत के बाहर जाकर अगर आप भी एमबीबीएस की पढ़ाई करने की सोच रहे हैं तो आपको इस चुनौती का सामना करना पड़ेगा। यह चुनौती इसलिए होती है क्योंकि कई देश ऐसे हैं जहां अंग्रेजी का भी इस्तेमाल बहुत कम होता है। यूक्रेन, रूस, चीन और पोलैंड ऐसे देश हैं जहां अंग्रेजी नहीं बोली जाती। भारत में हम हिंदी के अलावा ज्यादा अंग्रेजी बोलना जानते हैं।
यूनिवर्सिटी का चयन करना
भारत में सांस्कृतिक और भौगोलिक परिस्थितियां हर राज्य में अलग-अलग है। जैसे अगर दक्षिण भारत का कोई स्टूडेंट विदेश में जाता है तो उसे वहां मौसम की समस्या का सामना सबसे ज्यादा करना पड़ता है। इसके अलावा खानपान की भी समस्या बहुत अधिक होती है। ऐसे में भारतीयों को यूनिवर्सिटी का चयन बहुत सोच समझकर करना पड़ता है।