Ludwig Guttmann (लुडविग गुट्टमन) Google Doodle: ओलंपिक खेलों के साथ ही, Google ने पैरालंपिक खेलों के जनक माने जाने वाले जर्मन डॉक्टर सर लुडविग गुट्टमन का डूडल बनाया है। बाल्टीमोर के गेस्ट आर्टिस्ट आशांति फोर्टसन ने आज का डूडल तैयार किया है। आज, 3 जुलाई 2021 के डूडल के माध्यम से गूगल यहूदी, जर्मन में जन्मे ब्रिटिश न्यूरोलॉजिस्ट प्रोफेसर सर लुडविग “पोप्पा” गुट्टमन, पैरालंपिक आंदोलन के संस्थापक के 122 वें जन्मदिन का जश्न मना रहा है।
उनके प्रयासों के कारण ही आज पैरालंपिक एथलीटों को उनके कौशल और उपलब्धियों के लिए पहचाना जाता है। पैरालंपिक खेल समान उपचार और अवसर पर स्थायी प्रभाव के साथ विकलांग लोगों के अधिकारों और स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए एक प्रेरक शक्ति बने हुए हैं। सर लुडविग गुट्टमन का जन्म 3 जुलाई, 1899 को टॉस्ट, जर्मनी (अब टोस्जेक, पोलैंड) में हुआ था और 1924 में उन्होंने एमडी की डिग्री प्राप्त की। “उन्होंने रीढ़ की हड्डी की चोटों पर शोध शुरू किया और कई न्यूरोसर्जिकल प्रक्रियाएं कीं। वह 1930 के दशक में जर्मनी के टॉप न्यूर्सजन बनकर उभरे।


इन गेम्स की बदौलत दिव्यांग लोगों को एक नई दिशा मिली और वह निराशा से उबकर बेहतर इंसान बने। बता दें कि इस साल भी पैरा ओलंपिक गेम्स होने हैं, जो कि 24 अगस्त 2021 से शुरू होकर 5 सितंबर 2021 तक चलेंगे।
आज गूगल ने सर लुडविग गट्टमन के सम्मान में डूडल बनाया है। बता दें कि पैरा ओलंपिक गेम्स को शुरू करने की श्रेय सर लुडविग गट्टमन को ही जाता है। आज यानी कि 3 जुलाई को उनका 122वां जन्मदिन है। गूगल ने डूडल बनाकर पैरा ओलंपिक गेम्स के संस्थापक को सम्मान दिया है।
आज गूगल ने सर लुडविग गट्टमन के सम्मान में डूडल बनाया है। बता दें कि पैरा ओलंपिक गेम्स को शुरू करने की श्रेय सर लुडविग गट्टमन को ही जाता है। आज यानी कि 3 जुलाई को उनका 122वां जन्मदिन है। गूगल ने डूडल बनाकर पैरा ओलंपिक गेम्स के संस्थापक को सम्मान दिया है।
वह पत्रिका, पैरापलेजिया (जिसे अब स्पाइनल कॉर्ड नाम दिया गया है) के पहले संपादक बने। उन्होंने 1966 में क्लिनकल वर्क से संन्यास ले लिया लेकिन खेल के साथ अपनी भागीदारी जारी रखी।
1961 में, गुटमैन ने इंटरनेशनल मेडिकल सोसाइटी ऑफ़ पैरापलेजिया की स्थापना की, जो अब इंटरनेशनल स्पाइनल कॉर्ड सोसाइटी (ISCoS) है; वह सोसाइटी के अध्यक्ष थे।
पैरा ओलंपिक गेम्स के जरिए डॉ. सर लुडविग गट्टमैन ने दिव्यांगों के लिए जो किया, उसे पूरी दुनिया हमेशा याद रखेगी। गुट्टमैन को 1966 में ब्रिटेन की महारानी ने नाइट की उपाधि दी थी। 18 मार्च 1980 को उनकी मृत्यु हो गई।
गुटमैन का जन्म 3 जुलाई, 1899 को जर्मनी के टोस्ट में हुआ था, जो अब पोलैंड के अंतर्गत आता है। नाजी शासन के दौरान यहूदियों के बढ़ते उत्पीड़न के मद्देनजर उन्हें जर्मनी छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।
इंग्लैंड में, गुट्टमन ने पैरापलेजिया में अपने शोध को आगे बढ़ाया। 1944 में, उन्होंने स्टोक मैंडविल अस्पताल में नेशनल स्पाइनल इंजरी सेंटर के निदेशक के रूप में काम करना शुरू किया।
इन गेम्स की बदौलत दिव्यांग लोगों को एक नई दिशा मिली और वह निराशा से उबकर बेहतर इंसान बने। बता दें कि इस साल भी पैरा ओलंपिक गेम्स होने हैं, जो कि 24 अगस्त 2021 से शुरू होकर 5 सितंबर 2021 तक चलेंगे।
पैरा ओलंपिक गेम्स के जरिए डॉ. सर लुडविग गट्टमन ने दिव्यांगों के लिए जो किया, उसे पूरी दुनिया हमेशा याद रखेगी. साल 1960 में पहली बार पैरा ओलंपिक गेम्स का आयोजन किया गया।
साल 1948 में पहली बार उन्होंने दिव्यांग हो चुके लोगों के लिए एक आर्चरी (Archery) मुकाबले का आयोजन कराया। दिव्यांगों के लिए किया गया यह पहले स्पोर्ट्स आयोजन था, जो कि बाद में पैरा ओलंपिक गेम्स में बदल गया। शुरुआत में इन गेम्स को स्टॉक मेंडेविल्ले गेम्स कहा जाता था, जो कि सर लुडविग गट्टमन के अस्पताल का नाम था।
लुडविग गट्टमन का जन्म पौलेंड (तत्कालीन जर्मनी) की तोस्त नामक जगह पर 3 जुलाई 1899 को हुआ था. वह एक मशहूर न्यूरोलॉजिस्ट थे, रीढ़ की हड्डी (Spinal Cord) की चोटों के इलाज की विशेषज्ञता के चलते वह पूरे जर्मनी में मशहूर थे. हालांकि हिटलर के उदय के बाद एक यहूदी होने के कारण उन्हें जर्मनी छोड़ना पड़ा और वह साल 1939 में इंग्लैंड में बस गए।
आज गूगल ने सर लुडविग गट्टमन के सम्मान में डूडल बनाया है। बता दें कि पैरा ओलंपिक गेम्स को शुरू करने की श्रेय सर लुडविग गट्टमन को ही जाता है। आज यानी कि 3 जुलाई को उनका 122वां जन्मदिन है। गूगल ने डूडल बनाकर पैरा ओलंपिक गेम्स के संस्थापक को सम्मान दिया है।
इन गेम्स की बदौलत दिव्यांग लोगों को एक नई दिशा मिली और वह निराशा से उबकर बेहतर इंसान बने. बता दें कि इस साल भी पैरा ओलंपिक गेम्स होने हैं, जो कि 24 अगस्त 2021 से शुरू होकर 5 सितंबर 2021 तक चलेंगे.
पैरा ओलंपिक गेम्स के जरिए डॉ. सर लुडविग गट्टमन ने दिव्यांगों के लिए जो किया, उसे पूरी दुनिया हमेशा याद रखेगी. साल 1960 में पहली बार पैरा ओलंपिक गेम्स का आयोजन किया गया.
साल 1948 में पहली बार उन्होंने दिव्यांग हो चुके लोगों के लिए एक आर्चरी (Archery) मुकाबले का आयोजन कराया. दिव्यांगों के लिए किया गया यह पहले स्पोर्ट्स आयोजन था, जो कि बाद में पैरा ओलंपिक गेम्स में बदल गया. शुरुआत में इन गेम्स को स्टॉक मेंडेविल्ले गेम्स कहा जाता था, जो कि सर लुडविग गट्टमन के अस्पताल का नाम था
1948 में, उन्होंने एक 16-व्यक्ति तीरंदाजी प्रतियोगिता का आयोजन किया, जो व्हीलचेयर वालों के लिए पहली आधिकारिक प्रतिस्पर्धी खेल आयोजनों में से एक थी। बाद में "स्टोक मैंडविल गेम्स" या "विकलांगों के लिए ओलंपिक" कहा जाता है, प्रतियोगिता ने विकलांगता के लिए बाधाओं को तोड़ने के लिए कुलीन खेल की शक्ति का प्रदर्शन किया और वैश्विक चिकित्सा और खेल समुदायों का ध्यान आकर्षित किया।
इंग्लैंड में, गुट्टमन ने पैरापलेजिया में अपने शोध को आगे बढ़ाया। 1944 में, उन्होंने स्टोक मैंडविल अस्पताल में नेशनल स्पाइनल इंजरी सेंटर के निदेशक के रूप में काम करना शुरू किया।
हालांकि, नाजी पार्टी के उदय और 1933 में नूर्नबर्ग कानूनों के पारित होने के साथ, गुटमन को पेशेवर रूप से दवा का अभ्यास करने से रोका गया था। 1938 में क्रिस्टलनाचट और जर्मनी में यहूदियों के बढ़ते उत्पीड़न के बाद, गुट्टमन को अपने परिवार के साथ जर्मनी छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा और 1939 में इंग्लैंड चले गए, गूगल ने डूडल के साथ एक बायो में लिखा।