यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) ने कॉलेज और यूनिवर्सिटी के फाइनल ईयर के एग्जाम कराने के लिए 30 सितंबर तक का वक्त दिया है। अब लगभग सभी कॉलेज और यूनिवर्सिटी एग्जाम कराने की तैयारी में लग गए हैं। UGC ने कॉलेजों को यह सुविधा दी है कि जो छात्र परीक्षा में शामिल न हो सकें उनके लिए स्पेशल एग्जाम आयोजित किए जाएं। इसे लेकर भी छात्रों में असंतोष था। छात्रों का कहना है कि परीक्षाएं पूरी तरह रद्द हों और इंटरनल एग्जाम्स के आधार पर रिजल्ट तैयार किया जाए।
आयोग का कहना है कि फाइनल ईयर के एग्जाम बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। कॉलेज या यूनिवर्सिटी अपनी सुविधा के आधार पर ऑनलाइन या ऑफलाइन किसी भी माध्यम में परीक्षा आयोजित कर सकते हैं। UGC ने 06 जुलाई की गाइडलाइंस में परीक्षाओं को 30 सितंबर तक करा लेने के निर्देश दिये हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया है कि उसने विश्वविद्यालयों को सितंबर में टर्म-एंड परीक्षा के लिए उपस्थित नहीं होने वाले छात्रों के लिए संभव होने पर “विशेष परीक्षा के लिए” परीक्षा आयोजित करने की अनुमति भी दी है।
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दिल्ली, पश्चिम बंगाल, पंजाब और तमिलनाडु के सम्मानित मुख्यमंत्रियों ने भी केंद्र सरकार को पत्र लिखकर UGC के दिशानिर्देशों को लागू न करने की मांग की थी। ये वह राज्य हैं जहां कोरोना संक्रमण की हालत बेहद खराब है। अब कोर्ट के फैसले के बाद सभी राज्यों में परीक्षाएं अनिवार्य हो गई हैं।
यूजीसी ने फाइनल ईयर की परीक्षाओं के आयोजन का निर्देश दिया है क्योंकि आयोग ने यह महसूस किया कि सीखना एक गतिशील प्रक्रिया है और परीक्षा के माध्यम से किसी के ज्ञान को आंकने का एकमात्र तरीका है। सुप्रीम कोर्ट ने आयोग के पक्ष को सही मानते हुए फैसला दिया है।
देश में हो रही परीक्षाओं पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने निर्देश जारी करते हुए कहा है कि केवल उन्हीं परीक्षा केंद्रों पर एग्जाम कराने की अनुमति है जो कंटेनमेंट ज़ोन में नहीं आते हैं। कंटेनमेंट ज़ोन से आ रहे परीक्षार्थियों और स्टाफ को एग्जाम सेंटर में एंट्री की अनुमति नहीं होगी।
हरियाणा 7 सितंबर से सभी सरकारी, सहायता प्राप्त और स्व-वित्त महाविद्यालयों में स्नातक कक्षाओं के लिए अपना ऑनलाइन प्रवेश शुरू करेगा। ऑनलाइन एडमिशन की प्रक्रिया 21 सितंबर तक जारी रहेगी।
परीक्षा ऑनलाइन देने वाले छात्रों को एग्जाम पेपर डाउनलोड करने और अपलोड करने के लिए अतिरिक्त समय दिया जाएगा। उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन की व्यवस्था भी की गई है ताकि रिजल्ट बिना देरी के घोषित किए जा सकें। यह भी तय किया गया था कि वैध कारणों से परीक्षा देने में असमर्थ छात्रों को एक और मौका दिया जाएगा।
बैठक में दोहराया गया कि Covid-19 स्थिति के मद्देनजर केंद्र और राज्य सरकार द्वारा जारी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का कड़ाई से पालन किया जाएगा।
यह निर्णय राज्य के सभी सरकारी सहायता प्राप्त विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और नियंत्रकों की बैठक में लिया गया। इसकी अध्यक्षता हरियाणा राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर बृज किशोर कुठियाला ने की।
हरियाणा सरकार ने सितंबर के अंत तक राज्य के अनुदानित महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित करने का निर्णय लिया है। इन परीक्षाओं के रिजल्ट 03 अक्टूबर को जारी किए जाएंगे।
क्वेश्चन पेपर ईमेल और व्हाट्सएप के माध्यम से छात्रों को भेजे जाएंगे। छात्र अपनी आंसर शीट भी ऑनलाइन ही जमा करेंगे। यदि कोई छात्र ऐसा करने में विफल रहता है तो वह अपनी आंसर शीट की हार्ड कॉपी पोस्ट के माध्यम से विश्वविद्यालय को भेजेगा।
विश्व भारती विश्वविद्यालय (VBU) इसी महीने के अंत तक फाइनल सेमेस्टर की परीक्षा आयोजित करेगा और विभिन्न विभागों के प्राचार्यों से कहा गया है कि वे परीक्षा आयोजित करने के लिए तैयारियां शुरू कर दें।
कलकत्ता विश्वविद्यालय की कुलपति ने कहा, "हमने अपने संबद्ध कॉलेजों में अंतिम सेमेस्टर की परीक्षा ऑनलाइन आयोजित करने का फैसला किया है और विश्वविद्यालय के तहत हमारे 68 विभागों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए अंतिम सेमेस्टर परीक्षाएं ऑनलाइन मोड में आयोजित की जाएंगी। परीक्षाओं के रिजल्ट 31 अक्टूबर तक जारी कर दिए जाएंगे।"
कलकत्ता विश्वविद्यालय 01 अक्टूबर और 18 अक्टूबर के बीच अपने संबद्ध कॉलेजों में पोस्ट ग्रेजुएट और ग्रेजुएट प्रोग्राम के लिए फाइनल सेमेस्टर की परीक्षा आयोजित करेगा। विश्वविद्यालय के कुलपति सोनाली चक्रवर्ती बनर्जी ने एक संवाददाता सम्मेलन में इस बारे में जानकारी दी।
BOMBAY उच्च न्यायालय ने शनिवार को महाराष्ट्र विश्वविद्यालय के स्वास्थ्य विज्ञान (MUHS) द्वारा 8 सितंबर से आयोजित होने वाले अंतिम वर्ष के स्नातक मेडिकव कोर्स के लिए एक फिजिकल मोड में परीक्षाओं से इनकार कर दिया।
गुवाहाटी विश्वविद्यालय (जीयू) ने घोषणा की है कि वह 22 सितंबर से 15 अक्टूबर के बीच बीए, बीएससी और बीकॉम अंतिम वर्ष (छठे सेमेस्टर) के लगभग 350 कॉलेजों के छात्रों के लिए पेन और पेपर मोड के माध्यम से ऑफलाइन परीक्षा आयोजित करेगा।
मामले में हस्तक्षेप के लिए देश भर के 11 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसके बाद, 2 अलग-अलग याचिकाएँ, महाराष्ट्र राज्य की ओर से युवा सेना द्वारा और एक अन्य छात्र द्वारा एक अन्य याचिका भी दायर की गई थी। अदालत में इस मामले की कई सुनवाई हुई। अदालत ने 28 अगस्त को मामले में फैसला सुनाया है।
UGC ने कहा है कि जारी की गई गाइडलाइंस के जरिए 'देश भर के छात्रों के शैक्षणिक भविष्य की रक्षा करना है जो कि उनके अंतिम वर्ष / टर्मिनल सेमेस्टर की परीक्षा नहीं होने पर होगी, जबकि उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान भी ध्यान में रखा गया है।'
आयोग ने कहा है कि जो छात्र परीक्षा में भाग लेने में सक्षम नहीं होंगे, उन्हें परीक्षा के लिए एक और मौका दिया जाएगा जब महामारी की स्थिति नियंत्रण में होगी। हालांकि, छात्रों ने आयोग के इस फैसले पर भी असहमति जताई है।
शिव सेना की युवा शाखा, युवा सेना, शीर्ष अदालत में याचिकाकर्ताओं में से एक है और उसने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के निर्देश, COVID -19 महामारी के दौरान परीक्षा आयोजित कराने पर सवाल उठाया है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्यों को छात्रों को प्रमोट करने के लिए 30 सितंबर तक परीक्षा आयोजित करनी चाहिए, और अगर किसी भी राज्य को लगता है कि वे परीक्षा आयोजित नहीं कर सकते हैं, तो उन्हें अपनी चिंताओं के साथ यूजीसी से संपर्क करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि विश्वविद्यालय स्नातक (अंडर ग्रेजुएट) और स्नातकोत्तर (पोस्ट ग्रेजुएट) कोर्सेज के फर्स्ट व सेकेंड ईयर स्टूडेंट्स को अगले ईयर में प्रमोट करने को लेकर परीक्षा कराने के लिए स्वतंत्र है।
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कुछ समय पहले विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से सभी अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट-ग्रेजुएट अंतिम सेमेस्टर / वर्ष की परीक्षाओं को 30 सिंतबर से बढ़ाकर 10 अक्टूबर तक पूरा करने का अनुरोध किया था।
COVID-19 महामारी के बीच विश्वविद्यालयों के लिए परीक्षा और अकादमिक कैलेंडर पर यूजीसी के दिशानिर्देशों को जारी रखते हुए, प्राधिकरण ने शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के लिए सभी स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश 31 अगस्त तक पूरा करने का अनुरोध किया है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (ugc) ने देश में छात्रों के लिए प्रवेश की प्रक्रिया शुरू करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं।
शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्यों को छात्रों को प्रमोट करने के लिए 30 सितंबर तक परीक्षा आयोजित करनी चाहिए, और अगर किसी भी राज्य को लगता है कि वे परीक्षा आयोजित नहीं कर सकते हैं, तो उन्हें अपनी चिंताओं के साथ यूजीसी से संपर्क करना होगा।
शिव सेना की युवा शाखा, युवा सेना, शीर्ष अदालत में याचिकाकर्ताओं में से एक है और उसने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के निर्देश, COVID -19 महामारी के दौरान परीक्षा आयोजित कराने पर सवाल उठाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कि राज्य के आपदा प्रबंधन अधिकारियों द्वारा पिछले सेमेस्टर/ वर्ष के परिणामों के आधार पर अंतिम वर्ष के छात्रों को प्रोमोट करने का फैसला डीएम अधिनियम के तहत राज्यों की यूनिवर्सिटी के अधिकार क्षेत्र में नहीं है और ऐसा कोई भी निर्णय लेने का अधिकार सिर्फ यूजीसी के पास है।
याचिकाकर्ता छात्र आंतरिक अंक और पिछले मूल्यांकन के आधार पर परीक्षाओं को रद्द करने और डिग्री और मार्कशीट जारी करने की मांग कर रहे हैं। सुप्रीम कोट इस मामले की सुनवाई पूरी कर चुका है और अब जल्द फैसला आने वाला है।
यूजीसी द्वारा 22 अप्रैल 2020 को और 6 जुलाई 2020 जारी किए गए दिशा-निर्देशों में कोई अंतर नहीं है। UGC ने 22 अप्रैल की गाइडलाइंस में 31 अगस्त तक परीक्षाएं आयोजित करने के निर्देश दिये थे, जबकि 06 जुलाई की गाइडलाइंस में परीक्षाओं को 30 सितंबर तक करा लेने के निर्देश दिये हैं।
आयोग का कहना है कि फाइनल ईयर के एग्जाम बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। कॉलेज या यूनिवर्सिटी अपनी सुविधा के आधार पर ऑनलाइन या ऑफलाइन किसी भी माध्यम में परीक्षा आयोजित कर सकते हैं।
UGC ने कॉलेजों को यह सुविधा दी है कि जो छात्र परीक्षा में शामिल न हो सकें उनके लिए स्पेशल एग्जाम आयोजित किए जाएं। इसे लेकर भी छात्रों में असंतोष है। छात्रों का कहना है कि परीक्षाएं पूरी तरह रद्द हों और इंटरनल एग्जाम्स के आधार पर रिजल्ट तैयार किया जाए।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, केंद्र सरकार अंग्रेजी भाषा के खिलाफ नहीं है, लेकिन वह भारतीय भाषाओं को मजबूत करना चाहती है। शिक्षा मंत्री को यह बयान इसलिए देना पड़ा क्योंकि नई शिक्षा नीति को मंजूरी मिलने के बाद विपक्ष के कुछ नेताओं ने सरकार पर ऐसा आरोप लगाया था।
तमिलनाडु में, टर्मिनल परीक्षा के लिए उपस्थित होने वाले छात्रों को छोड़कर, बीए, बीएससी, एमए, एमएससी, बीई / बीटेक, एमई / एमटेक, एमसीए और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के सभी छात्रों को अगले शैक्षणिक वर्ष में प्रमोट किया गया।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एडप्पादी के पलानीस्वामी (Edappadi K Palaniswami) ने एक बयान में कहा, इन छात्रों यूजीसी और एआईसीटीई (UGC and AICTE) के दिशानिर्देशों के मुताबिक, मार्क्स दिए गए हैं।
श्याम दीवान ने कहा कि यह अनिवार्य नहीं किया जा सकता है, खासतौर पर महाराष्ट्र में जहां कुछ कॉलेजों को कोरोनावायरस संक्रमण के लगातार सामने आ रहे मामलों के चलते क्वारनटाइंन सेंटर बना दिया गया है।
अभिषेक मनु सिंघवी ने SC को सुनवाई के दौरान बताया था कि यह जीवन और स्वास्थ्य का मामला है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र, पंजाब, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और ओडिशा जैसे राज्यों ने परीक्षा आयोजित नहीं करने का फैसला किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्य परीक्षा रद्द कर सकते हैं मगर बगैर परीक्षा के छात्रों को प्रोमोट नहीं कर सकते। UGC के दिशानिर्देश बदले नहीं जाएंगे।
UGC के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूनिवर्सिटी बगैर परीक्षा कराए छात्रों को प्रोमोट कर डिग्री नहीं दे सकती इसलिए UGC की गाइडलाइंस में कोई बदलाव नहीं होगा।
अदालत ने यह माना है कि राज्यों और विश्वविद्यालयों को छात्रों को प्रमोट करने के लिए और डिग्री प्रदान करने के लिए परीक्षा आयोजित करनी होगी। आंतरिक मूल्यांकन यूजीसी की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करेंगे।
अदालत ने यह माना है कि राज्यों और विश्वविद्यालयों को छात्रों को प्रमोट करने के लिए और डिग्री प्रदान करने के लिए परीक्षा आयोजित करनी होगी। आंतरिक मूल्यांकन यूजीसी की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करेंगे।
31 याचिकाकर्ताओं में से एक छात्र का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव था जिसने यूजीसी से सीबीएसई मॉडल को अपनाने और मूल्यांकन के आधार पर ग्रेस मार्क्स से संतुष्ट नहीं होने वाले छात्रों के लिए बाद की तारीख में एक परीक्षा आयोजित करने की मांग की थी।