यूनिवर्सिटीज के फाइनल ईयर के एग्जाम्स इसी महीने पूरे हो जाएंगे। यूजीसी ने 30 सितंबर की तारीख तय की है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने पहले शीर्ष शीर्ष अदालत को बताया था कि उसके 6 जुलाई के निर्देश, विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को 30 सितंबर तक अंतिम वर्ष की परीक्षा आयोजित करने के लिए कहते हैं, यह “डिक्टेट नहीं” है, लेकिन राज्य, बिना परीक्षाओं के डिग्री की मांग नहीं कर सकते। यूजीसी ने पहले कहा था कि परीक्षाओं के बारे में स्थिति जानने के लिए विश्वविद्यालयों से संपर्क किया गया था और 818 विश्वविद्यालयों (121 डीम्ड विश्वविद्यालयों, 291 निजी विश्वविद्यालयों, 51 केंद्रीय विश्वविद्यालयों और 355 राज्य विश्वविद्यालयों) से प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई थीं।
UGC Exam Guidelines 2020 Live Updates: Check Your Exam Date
यूजीसी अब पढ़ाई को लेकर राज्यों के साथ ऐसा कोई टकराव नहीं रखना चाहता है। यही वजह है कि विश्वविद्यालयों पर पढ़ाई को लेकर कुछ भी नहीं थोपा जाएगा, बल्कि सभी को अपने स्तर पर इससे जुड़ा फैसला लेने की पूरी छूट दी जाएगी। वह छात्रों को जिस तरह से पढ़ाना चाहते है, उसका पूरा फैसला ले सकेंगे। यानी किन-किन छात्रों को क्लास में बुलाना है, किसे आनलाइन पढ़ाना चाहते है जैसे सारे निर्णय अब वह अपने स्तर पर करेंगे।
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नए दिशानिर्देशों के अनुसार, ऐसे परीक्षार्थियों जो कंटेनमेंट जोन में है उन्हें अन्य माध्यमों से परीक्षा देने का अवसर दिया जाएगा या विश्वविद्यालय या शिक्षण संस्थान ऐसे छात्रों के लिए बाद की तारीख में परीक्षा लेने की अलग व्यवस्था करेंगे।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने विश्वविद्यालय और अन्य शैक्षिक परीक्षाओं के बारे में नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। स्क्रीनिंग के समय या परीक्षा के दौरान किसी को भी आइसोलेट करने की भी व्यवस्था होनी चाहिए। इसके अलावा, पूरी सावधानी के साथ ही परीक्षा आयोजित की जानी चाहिए तथा स्वास्थ्य संबंधी मामले में कोई लापरवाही नहीं बरती जानी चाहिए।
मेघालय मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा की अध्यक्षता में एक समीक्षा बैठक में इस संबंध में कल फैसला लिया गया। मेघालय सरकार अब चाहती है कि अंतिम वर्ष की परीक्षाएं 7, 9, 12, 14 और 16 अक्टूबर को आयोजित की जाएंगी, जबकि परिणाम 31 अक्टूबर तक आएंगे।
परीक्षा ऑनलाइन देने वाले छात्रों को एग्जाम पेपर डाउनलोड करने और अपलोड करने के लिए अतिरिक्त समय दिया जाएगा। उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन की व्यवस्था भी की गई है ताकि रिजल्ट बिना देरी के घोषित किए जा सकें। यह भी तय किया गया था कि वैध कारणों से परीक्षा देने में असमर्थ छात्रों को एक और मौका दिया जाएगा।
हरियाणा सरकार ने सितंबर के अंत तक राज्य के अनुदानित महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित करने का निर्णय लिया है। इन परीक्षाओं के रिजल्ट 03 अक्टूबर को जारी किए जाएंगे।
बैठक में दोहराया गया कि Covid-19 स्थिति के मद्देनजर केंद्र और राज्य सरकार द्वारा जारी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का कड़ाई से पालन किया जाएगा। परीक्षा ऑनलाइन देने वाले छात्रों को एग्जाम पेपर डाउनलोड करने और अपलोड करने के लिए अतिरिक्त समय दिया जाएगा। उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन की व्यवस्था भी की गई है ताकि रिजल्ट बिना देरी के घोषित किए जा सकें। यह भी तय किया गया था कि वैध कारणों से परीक्षा देने में असमर्थ छात्रों को एक और मौका दिया जाएगा।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, UGC ने स्पष्ट किया है कि अंतिम वर्ष की परीक्षाएं ऑनलाइन, ऑफलाइन या दोनों तरीकों से हो सकती हैं मगर समय पर होनी चाहिए। दिल्ली विश्वविद्यालय, डीयू की ओबीई परीक्षाओं को चुनौती देने वाले मामले में प्रश्नों को संबोधित करते समय यूजीसी द्वारा प्रस्तुति आधारित मूल्यांकन के विकल्प को खारिज कर दिया गया था।
अदालत ने माना कि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को UGC के दिशानिर्देशों के विपरीत जाकर परीक्षा न कराने के आदेश देने का अधिकार है, इसलिए अदालत राज्यों को यह अनुमति देती है कि वे UGC से एग्जाम कराने की डेडलाइन में छूट मांग सकते हैं।
अदालत ने कहा कि राज्य परीक्षाएं कराने के लिए UGC से और समय मांग सकते हैं मगर बगैर परीक्षा कराए छात्रों को प्रोमोट नहीं कर सकते क्योंकि यूनिवर्सिटी को UGC के ऊपर अधिकार नहीं हैं।
बैठक में दोहराया गया कि Covid-19 स्थिति के मद्देनजर केंद्र और राज्य सरकार द्वारा जारी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का कड़ाई से पालन किया जाएगा। परीक्षा ऑनलाइन देने वाले छात्रों को एग्जाम पेपर डाउनलोड करने और अपलोड करने के लिए अतिरिक्त समय दिया जाएगा। उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन की व्यवस्था भी की गई है ताकि रिजल्ट बिना देरी के घोषित किए जा सकें। यह भी तय किया गया था कि वैध कारणों से परीक्षा देने में असमर्थ छात्रों को एक और मौका दिया जाएगा।
यह निर्णय राज्य के सभी सरकारी सहायता प्राप्त विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और नियंत्रकों की बैठक में लिया गया। इसकी अध्यक्षता हरियाणा राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर बृज किशोर कुठियाला ने की।
हरियाणा सरकार ने सितंबर के अंत तक राज्य के अनुदानित महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित करने का निर्णय लिया है। इन परीक्षाओं के रिजल्ट 03 अक्टूबर को जारी किए जाएंगे।
गुवाहाटी विश्वविद्यालय ने पहले ही तय कर लिया है कि पेन और पेपर मोड के माध्यम से आयोजित की जाने वाली ऑफलाइन परीक्षा 50 प्रतिशत वेटेज होगी, जबकि शेष 50 प्रतिशत अंक आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर दिए जाएंगे।
गुवाहाटी विश्वविद्यालय (जीयू) ने घोषणा की है कि वह 22 सितंबर से 15 अक्टूबर के बीच बीए, बीएससी और बीकॉम अंतिम वर्ष (छठे सेमेस्टर) के लगभग 350 कॉलेजों के छात्रों के लिए पेन और पेपर मोड के माध्यम से ऑफलाइन परीक्षा आयोजित करेगा।
नम्रता कराडे और आठ अन्य छात्रों द्वारा दायर जनहित याचिका, अधिवक्ता कुणाल कुंभट और संकेत भंडारकर के माध्यम से, एमयूएचएस परिपत्र को चुनौती दी गई और इसकी वापसी की मांग की गई।
21 अगस्त को जारी एक परिपत्र के माध्यम से एमयूएचएस ने 8 सितंबर और 3 अक्टूबर के बीच फिजिकल मोड में एमबीबीएस, बीडीएस, बीएएमएस और नर्सिंग कोर्स समेत स्नातक मेडिकल कोर्स की परीक्षा आयोजित करने के लिए टाइमटेबल जारी किया था।
BOMBAY उच्च न्यायालय ने शनिवार को महाराष्ट्र विश्वविद्यालय के स्वास्थ्य विज्ञान (MUHS) द्वारा 8 सितंबर से आयोजित होने वाले अंतिम वर्ष के स्नातक मेडिकव कोर्स के लिए एक फिजिकल मोड में परीक्षाओं से इनकार कर दिया।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर राज कुमार ने एक विशेष निगरानी समन्वय समिति का गठन किया है, जो परीक्षा से संबंधित दिन-प्रतिदिन के मुद्दों, तकनीकी बाधाओं, प्रशासनिक मुद्दों और ऑनलाइन परीक्षा से संबंधित लॉजिस्टिक्स की निगरानी करेगी।
पीयू ने सभी प्रवेश परीक्षाओं का आयोजन किया है। अब मेरिट के आधार पर दाखिले किए जाएंगे। बीए, एलएलबी के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करने का मामला पंजाब और उच्च न्यायालय में उप-न्यायाधीश है। आधिकारिक अधिसूचना जल्द आने की संभावना है।
उम्मीदवार को प्रत्येक शीट पर अपना रोल नंबर / क्लास / पेपर / पाठ्यक्रम और हस्ताक्षर लिखना आवश्यक है। उत्तर पुस्तिकाओं को वापस भेजने के लिए छात्रों के पास दो घंटे का समय होगा। संबंधित अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत करने के अलावा, प्रश्न पत्र विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर भी अपलोड किया जाएगा।
उम्मीदवार को किसी भी प्रश्न को चुनकर 50 प्रतिशत प्रश्नपत्र का प्रयास करना होगा। वे कोई अनिवार्य प्रश्न नहीं होगा। अभ्यर्थी प्रश्न पत्र को ए 4 साइज के पेपर पर उसकी लिखावट में 12 शीट की अधिकतम पेज सीमा के साथ हल करेंगे, जिसमें से केवल एक पक्ष का उपयोग करना होगा।
पंजाब विश्वविद्यालय ने आधिकारिक तौर पर 17 से 30 सितंबर तक ऑनलाइन / ऑफलाइन मोड में स्नातकोत्तर (पीजी) और स्नातक (यूजी) दोनों पाठ्यक्रमों के अंतिम सेमेस्टर परीक्षा आयोजित करने की घोषणा की।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कई विश्वविद्यालय अपने विकल्पों को फ्रीज करने से पहले रविवार और सोमवार को अपनी वैधानिक निकाय की बैठक करेंगे। सभी राज्य विश्वविद्यालय सोमवार दोपहर तक अपनी अंतिम योजना राज्य सरकार और राज्यपाल को सौंप देंगे।
मुंबई विश्वविद्यालय (MU) के लिए प्रैक्टिकल 15 सितंबर से शुरू होंगे। कॉलेजों में 25 से 30 सितंबर तक अंतिम वर्ष के उम्मीदवारों के लिए बैकलॉग परीक्षा आयोजित की जाएगी। थ्योरी परीक्षा 1-17 अक्टूबर के बीच होगी, जिसमें कॉमर्स - छात्रों का सबसे बड़ा समूह - प्रथम रहा।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई विश्वविद्यालय ने कॉलेजों द्वारा आयोजित की जाने वाली प्रैक्टिकल और वाइवा वॉयस परीक्षा, ऑनलाइन भी फोन कॉल या डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से होगी।
शनिवार को एक के बाद एक कई बैठकों के दौर के बाद, मुंबई विश्वविद्यालय (एमयू) ने छात्रों के घरों में बहुविकल्पीय प्रश्न (एमसीक्यू) प्रारूप में एटीकेटी सहित सभी अंतिम सिद्धांत परीक्षा आयोजित करने का फैसला किया। प्रत्येक परीक्षा एक घंटे के लिए आयोजित की जाएगी और 50 अंक होंगे।
हरियाणा 7 सितंबर से सभी सरकारी, सहायता प्राप्त और स्व-वित्त महाविद्यालयों में स्नातक कक्षाओं के लिए अपना ऑनलाइन प्रवेश शुरू करेगा। ऑनलाइन एडमिशन की प्रक्रिया 21 सितंबर तक जारी रहेगी।
परीक्षा ऑनलाइन देने वाले छात्रों को एग्जाम पेपर डाउनलोड करने और अपलोड करने के लिए अतिरिक्त समय दिया जाएगा। उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन की व्यवस्था भी की गई है ताकि रिजल्ट बिना देरी के घोषित किए जा सकें। यह भी तय किया गया था कि वैध कारणों से परीक्षा देने में असमर्थ छात्रों को एक और मौका दिया जाएगा।
UGC ने दिशानिर्देश जारी किए थे जिसमें कहा गया था कि विश्वविद्यालयों के लिए किसी भी पेन और पेपर, ऑनलाइन, या 30 सितंबर, 2020 तक दोनों के संयोजन का उपयोग करके अंतिम वर्ष की परीक्षा आयोजित करना अनिवार्य है। अब अदालत के फैसले के बाद यह नियम सभी कॉलेज/यूनिवर्सिटी पर लागू होंगे।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने सोमवार को कहा, केंद्र सरकार अंग्रेजी भाषा के खिलाफ नहीं है, लेकिन वह भारतीय भाषाओं को मजबूत करना चाहती है। शिक्षा मंत्री को यह बयान इसलिए देना पड़ा क्योंकि नई शिक्षा नीति को मंजूरी मिलने के बाद विपक्ष के कुछ नेताओं ने सरकार पर ऐसा आरोप लगाया था।
UGC ने कॉलेजों को यह सुविधा दी है कि जो छात्र परीक्षा में शामिल न हो सकें उनके लिए स्पेशल एग्जाम आयोजित किए जाएं। इसे लेकर भी छात्रों में असंतोष है। छात्रों का कहना है कि परीक्षाएं पूरी तरह रद्द हों और इंटरनल एग्जाम्स के आधार पर रिजल्ट तैयार किया जाए।
अभिषेक मनु सिंघवी ने SC को सुनवाई के दौरान बताया था कि यह जीवन और स्वास्थ्य का मामला है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र, पंजाब, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और ओडिशा जैसे राज्यों ने परीक्षा आयोजित नहीं करने का फैसला किया है।
अदालत ने यह माना है कि राज्यों और विश्वविद्यालयों को छात्रों को प्रमोट करने के लिए और डिग्री प्रदान करने के लिए परीक्षा आयोजित करनी होगी। आंतरिक मूल्यांकन यूजीसी की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करेंगे।
31 याचिकाकर्ताओं में से एक छात्र का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव था जिसने यूजीसी से सीबीएसई मॉडल को अपनाने और मूल्यांकन के आधार पर ग्रेस मार्क्स से संतुष्ट नहीं होने वाले छात्रों के लिए बाद की तारीख में एक परीक्षा आयोजित करने की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्य परीक्षा रद्द कर सकते हैं मगर बगैर परीक्षा के छात्रों को प्रोमोट नहीं कर सकते। UGC के दिशानिर्देश बदले नहीं जाएंगे।
UGC के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूनिवर्सिटी बगैर परीक्षा कराए छात्रों को प्रोमोट कर डिग्री नहीं दे सकती इसलिए UGC की गाइडलाइंस में कोई बदलाव नहीं होगा।
अदालत ने यह माना है कि राज्यों और विश्वविद्यालयों को छात्रों को प्रमोट करने के लिए और डिग्री प्रदान करने के लिए परीक्षा आयोजित करनी होगी। आंतरिक मूल्यांकन यूजीसी की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करेंगे।
31 याचिकाकर्ताओं में से एक छात्र का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव था जिसने यूजीसी से सीबीएसई मॉडल को अपनाने और मूल्यांकन के आधार पर ग्रेस मार्क्स से संतुष्ट नहीं होने वाले छात्रों के लिए बाद की तारीख में एक परीक्षा आयोजित करने की मांग की थी।
मामले में हस्तक्षेप के लिए देश भर के 11 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसके बाद, 2 अलग-अलग याचिकाएँ, महाराष्ट्र राज्य की ओर से युवा सेना द्वारा और एक अन्य छात्र द्वारा एक अन्य याचिका भी दायर की गई थी। अदालत में इस मामले की कई सुनवाई हुई। अदालत ने 28 अगस्त को मामले में फैसला सुनाया है।
महाराष्ट्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और ओडिशा ने उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया था कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को निर्देश दिया जाए कि वह चल रहे महामारी के दौरान लाखों विश्वविद्यालय के छात्रों पर अंतिम वर्ष की परीक्षा का दबाव न बनाए। अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए राज्यों को परीक्षा रद्द करने की अनुमति तो दी है मगर कहा है कि बगैर परीक्षा के डिग्री नहीं दी जा सकती।