Kerala SSLC 10th Result 2019: केरल के एसएसएलसी ( सेकेंडरी स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट) के साल 2019 के कक्षा 10 के परिणाम घोषित हो चुके हैं। इस दौरान तिरुवनंतपुरम के बाहरी इलाके में स्थित एक सरकारी आदिवासी स्कूल की काफी चर्चा हो रही है। यह स्कूल राज्य की राजधानी से 40 किमी. दूर इदिनजार क्षेत्र में स्थित है। बता दें यह स्कूल राज्य के उन 599 सरकारी स्कूलों में शामिल है जहां 100 फीसदी बच्चे पास हुए हैं।
मुसीबतों का करना पड़ा सामनाः इदिनजार में स्थित इस आदिवासी स्कूल के छात्रों के लिए सफलता का यह सफर तय करना आसान नहीं था। छात्रों ने गरीबी, टीचरों की कमी, कक्षाओं की कमी और अन्य दूसरी जरूरतों के अभाव में एसएसएलसी की कक्षा 10 की परीक्षा पास की। आदिवासी स्कूल के मलयालम टीचर बीजू बीके ने द न्यूज मिनट को बताया,’यह सब स्कूल हेडमास्टर, शिक्षकों, छात्रों के अभिभावकों , विभिन्न एनजीओ, कॉलेजों और अन्य लोगों के संयुक्त प्रयास से सफल हो सका। इस स्कूल की स्थापना 1957 में की गई थी पर हाल ही में स्कूल के छात्रों ने एसएसएलसी की परीक्षा पास करना शुरू किया है।
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171 में से 31 छात्रों ने दी परीक्षाः स्कूल में पढ़ने वाले 171 छात्रों में से 31 छात्रों ने इस साल 10वीं कक्षा की परीक्षा दी। बीजू के मुताबिक स्कूल में 90 प्रतिशत छात्र आदिवासी परिवारों से संबंध रखते हैं, वहीं 10 प्रतिशत बच्चे मजदूरों के हैं। उन्होंने बताया,’ ये छात्र जिस वातावरण से आते है वहां पढ़ाई करना मुश्किल है, इसलिए हमारे लिए यह सुनिश्चित करना जरूरी था कि उनकी पढ़ाई संबंधी सभी समस्याएं स्कूल में खत्म की जाएं।’
स्टाफ की कमीः बीजू ने बताया कि स्कूल और छात्रों के लिए सबसे बड़ी चुनौती टीचरों की कमी को पूरा करना था। स्कूल में कुछ विषयों जैसे- गणित, मलयालम, फिजिक्स, सामाजिक विज्ञान के अलावा अन्य विषयों के टीचर नहीं थे। ऐसे में जो टीचर मौजूद थे उन्होंने ही बाकी विषयों को पढ़ाने का जिम्मा लिया। इसके अलावा स्कूल में कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों ने भी पढ़ाकर अपना सहयोग दिया। यही नहीं एनजीओ के लोगों ने मोटीवेशनल स्पीच देकर छात्रों को मानसिक रूप से तैयार किया।
खाने की कमीः मलयालम टीचर बीजू ने बताया,’ स्कूल के सामने अगली बड़ी चुनौती खाने की कमी थी। ये छात्र पिछड़े वर्ग से आते हैं और उनमें से अधिकतर स्कूल से मिलने वाले अच्छे खाने पर निर्भर हैं। पर स्कूल के पास आवश्यक खाना उपलब्ध कराने के लिए फंड की कमी थी। हालांकि टीचरों और हेडमास्टर ने अपनी जेब से पैसे भरकर इस कमी को पूरा किया। इनमें से कुछ छात्रों के माता-पिता ने शाम के नाश्ते और दोपहर का खाना बनाने में मदद की।’
तीन समूहों में किया गया विभाजितः टीचर बीजू ने बताया कि इस साल जनवरी से दिसंबर में आयोजित मॉक परीक्षा में छात्रों को उनके प्रदर्शन के आधार पर तीन समूहों में विभाजित किया गया था। इन तीनों समूहों को उनकी जरूरतों के मुताबिक हर दिन परीक्षा के दिन तक सुबह 8.30 से शाम 5.30 बजे तक स्पेशल कोचिंग दी जाती थी। उन्होंने बताया,’पिछले साल राज्य में बाढ़ की वजह से कई दिनों तक स्कूल के राहत शिविर में बदले जाने के कारण बहुत दिनों तक पढ़ाई नहीं हो सकी, लेकिन छात्रों और शिक्षकों के प्रयासों से हम सभी कठिनाइयों को दूर करने में सक्षम हो पाए और परिणाम सभी के सामने हैं।’