Gandhi Jayanti 2019: स्वतंत्रता संग्राम में साथ मिलकर अंग्रेजों से लोहा लेने वाले युग पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल से गांधी जी एक समय बेहद खिन्न हो गए थे। यूं तो सरदार पटेल को आज़ाद भारत को एकजुट करने के उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए याद किया जाता है, मगर आज़ादी के बाद एक वक्त ऐसा भी आया, जब गांधी जी अनशन पर थे और सरदार पटेल उनकी मांगों के खिलाफ़ थे।
लैरी कोलिंस और डोमिनिक लैपरे की किताब फ्रीडम एट मिडनाइट (Freedom at Midnight) में यह जानकारी मिलती है कि आज़ादी के बाद जनवरी 1948 को गांधी जी देश के बंटवारे को लेकर अपनी कुछ मांगों के साथ अनशन पर बैठ गए। गांधी जी चाहते थे कि जिन शरणार्थियों ने मुस्लिम घरों पर कब्जा कर लिया है, वे उन घरों को खाली करके उनके मुसलमान मालिकों को लौटा दें और फिर से शरणार्थी-कैंपों में वापस लौट जाएं, और दूसरा ये कि सरकार पाकिस्तान को दी जाने वाली 55 करोड़ की आर्थिक मदद पर लगी रोक को हटा ले।
गांधी जी की इन मांगों से कांग्रेस के मंत्रियों, खासतौर पर सरदार पटेल को बहुत आघात पहुंचा। नेहरु समेत सरदार पटेल भी आर्थिक मदद रोक लेने के पक्ष में थे मगर गांधी जी बंटवारे के बाद भी देश को अखण्ड मानते थे और मानवता के नाते पाकिस्तान को मदद देने के पक्ष में थे। 13 जनवरी की सुबह जब बापू अनशन पर बैठे तो उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं था। वे कमज़ोरी के चलते चक्कर महसूस कर रहे थे। वे अपनी चटाई पर लेटे हुए चुपचाप अपनी छत को देख रहे थे जब सरदार पटेल उनसे मिले आए।
कमज़ोर हालत में गांधी जी अपनी कोहनियों के बल पर कुछ ऊपर उठे । इतने लंबे समय तक संघर्षों में अपना साथ देने वाले सरदार पटेल को सामने देखकर बापू कुछ भावुक भी हो गए। उन्होनें क्षीण स्वर में कहा, ‘तुम वो सरदार नहीं हो जिसे मैं किसी युग में जानता था’। ये कहकर वे फिर से चटाई पर लेट गए।

