केंद्रीय विद्यालय सरकारी स्कूलों में अपना एक अलग स्थान रखते हैं और अपनी पढ़ाई के साथ साथ नतीजों के लिए भी जाने जाते हैं और यही वजह है कि छात्रों के बीच इन केंद्रीय विद्यालयों में प्रवेश पाना एक उपलब्धि होता है। मगर हाल ही में एक ऐसा आंकड़ा सामने आया है, जिसके मुताबिक छात्रों का रुझान केवी की तरफ से घट रहा है, जो हैरान और परेशान करने वाला है।

क्या है मामला

लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में केंद्र द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, केंद्रीय विद्यालयों (केवी) में नामांकित नए छात्रों की संख्या 2024-25 में पांच वर्षों के निचले स्तर पर आ जाएगी। नए नामांकन 2020-21 में 1.95 लाख से घटकर 2021-22 में 1.83 लाख और 2022-23 में 1.58 लाख हो गए। 2023-24 में यह संख्या बढ़कर 1.75 लाख हो गई, और फिर 2024-25 में घटकर 1.39 लाख रह गई।

मौजूदा छात्रों की संख्या में भी आई कमी

सांसदों बीके पार्थसारथी और सुधा आर. के एक प्रश्न के उत्तर में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि में केंद्रीय विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों की कुल संख्या भी घटी है, जो 2020-21 में लगभग 13.88 लाख से घटकर 2024-25 में 13.5 लाख हो गई है।

केंद्र सरकार खोलने जा रही है 85 नए केंद्रीय विद्यालय

देश में कुल 1,280 केंद्रीय विद्यालय कार्यरत हैं, जो स्थानांतरित होने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बच्चों को शिक्षा प्रदान करते हैं। नए नामांकन में यह गिरावट तब आई है जब केंद्र ने पिछले साल दिसंबर में 85 नए केंद्रीय विद्यालय खोलने को मंजूरी दी थी।

85 केंद्रीय विद्यालय बनाने में इतनी आएगी लागत

प्रधान ने कहा कि केंद्र ने “देश भर में नागरिक/रक्षा क्षेत्र के तहत 85 नए केंद्रीय विद्यालय खोलने और एक मौजूदा केंद्रीय विद्यालय – शिवमोग्गा, कर्नाटक – के विस्तार को मंजूरी दी है, जिसमें सभी कक्षाओं में दो अतिरिक्त सेक्शन जोड़कर 5,872.08 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत आएगी।”

प्रधान द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) को आवंटित धनराशि में पिछले वर्ष की तुलना में लगातार वृद्धि देखी गई है, जो 2020-21 में 6,437.68 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 8,727 करोड़ रुपये हो गई है।

शिक्षा मंत्रालय ने घटते नामांकन पर मांगी थी रिपोर्ट

इस वर्ष की शुरुआत में, पीएम-पोषण (मध्याह्न भोजन) योजना के तहत प्रदर्शन, योजना और बजट पर चर्चा करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ बैठकों के दौरान, शिक्षा मंत्रालय ने 2024-25 में 23 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में प्राथमिक और उच्च-प्राथमिक स्तर पर सरकारी स्कूलों में नामांकन में गिरावट की ओर इशारा किया था और उनसे इस गिरावट के कारणों की पहचान करने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था।