दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आज सीबीएसई, एनसीईआरटी और अन्य राज्यों की शिक्षा इकाइयों को अपने पाठ्यक्रम पचास प्रतिशत तक कम करने का सुझाव दिया है। सिसोदिया, जो दिल्ली के शिक्षा मंत्री भी हैं, ने केन्द्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड(सीएबीई) की 65वीं बैठक में ये सुझाव दिये। इस बैठक की अध्यक्षता मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावेड़कर ने की। सिसोदिया ने बैठक में कहा, ‘‘जब तक अध्यापकों के ऊपर पाठ्यक्रम को पूरा कराने की तलवार लटकी रहेगी, तब तक वे अपना ध्यान अध्यापन के परिणामों पर नहीं लगा सकते।’’ सिसोदिया ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद जैसी समस्याओं को शिक्षा के जरिये हल किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘अब समय आ गया है, जब सभी शिक्षा मंत्री एक साथ मिलकर यह सुनिश्चित करें कि आतंकवाद का समाधान शिक्षा से निकालेंगे। हम आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन की समस्या का हल शिक्षा के जरिये निकालेंगे।’’ इसके अलावा उन्होंने कहा, “अभी तक शिक्षा का इस्तेमाल ऐसे औजार के रूप में हुआ है जो लोगों को रोजगार मुहैया कराएगा और गरीबी मिटाएगा। इस काम में हम लोग सफल भी हुए हैं, लेकिन हमने कभी भी शिक्षा का इस्तेमाल आतंकवाद जैसी समस्या को हल करने के लिए नहीं किया। अब वक्त आ गया है जब देश के सभी शिक्षा मंत्री एक जुट होकर, देश को यह भरोसा दिलाएं कि आतंकवाद का समाधान शिक्षा के जरिए किया जाए।” मनीष सिसोदिया ने यह बातें अपने ट्विटर हैंडल के जरिए कही।

मनीष सिसोदिया ने शिक्षा मंत्रियों के सामने मांग रखते हुए बताया कि जिस तरह आज अच्छे स्कूलों और कॉलेजों में डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, पत्रकार या मैनेजर तैयार करने की गारंटी होती है, वैसे ही शिक्षा मंत्रियों को ऐसा प्लान बनाना चाहिए जिससे ऐसी शिक्षा पद्धति खड़ी हो सके कि शिक्षा लेने वाला हर बच्चा प्रदूषण न फैलाए, किसी भी सूरत में भ्रष्टाचारी न बने और हिंसा का रास्ता न अपनाए। अपने एक ट्वीट में सिसोदिया ने लिखा, “‘लर्निंग आउटकम’ के लिए पाठ्यक्रम को 50% कम करने के साथ साथ परीक्षा प्रणाली में भी आमूलचूल परिवर्तन की ज़रूरत है। आज क्लास रूम में शिक्षण कार्य ‘लर्निंग आउटकम’ को ध्यान में रखकर नहीं, बल्कि बीते 5-6 साल के प्रश्नपत्रों में आये सवालों के आधार पर हैं।”