पढ़ाई छोड़ने और लंबा समय बीत जाने के बाद विद्यार्थी को नए सिरे से पढ़ाई शुरू करनी होती है। ऐसे में अधिकतर लोग पढ़ाई को आगे जारी रख नहीं पाते हैं। इसके अलावा एक पाठ्यक्रम में दाखिला लेने के बाद यदि विद्यार्थी को वह पाठ्यक्रम पसंद नहीं आया तो भी उसको शुरू से पढ़ाई शुरू करनी होती है। विद्यार्थियों की ऐसी ही अनेक समस्याओं को दूर करने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) राष्ट्रीय अकादमिक क्रेडिट बैंक (एनएसी बैंक) शुरू करने जा रहा है।
यह बैंक बहु प्रवेश और बहु निकास के सिद्धांत पर कार्य करेगा। इसके साथ ही यह विद्यार्थी को कभी भी, कहीं भी और किसी भी स्तर पर पढ़ाई की स्वतंत्रता देगा। शुरुआती तौर पर इसमें स्नातकोत्तर के पाठ्यक्रम शामिल किए जाएंगे। फिलहाल आयोग इस संबंध में सभी हितधारकों के सुझावों पर गौर कर रहा है। यह बैंक राष्ट्रीय शैक्षणिक संग्रहस्थान (एनएडी) के साथ मिलकर कार्य करेगा।
यूजीसी के एक अधिकारी के मुताबिक, हमारे देश में ऐसे अनेक मामले मिल जाएंगे जहां शादी, किसी नए शहर में विस्थापित होने पर या परिवार की मदद करने के लिए नौकरी करने की वजह से लोगों को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ती है। कुछ साल गुजर जाने के बाद यदि ये विद्यार्थी फिर अपनी पढ़ाई शुरू करना चाहते हैं तो इन्हें नए सिरे से पाठ्यक्रम में दाखिला लेना होता है। इसी तरह, एक कॉलेज से कुछ सेमेस्टर की पढ़ाई करने के बाद यदि विद्यार्थी कॉलेज बदलना चाहता है तो उसे अभी काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। एनएसी बैंक से ऐसी सभी समस्याओं का हल निकलेगा। दरअसल, इस बैंक में जमा क्रेडिट को विद्यार्थी एक से दूसरे संस्थान, पाठ्यक्रम और काल में इस्तेमाल कर पाएंगे।
अधिकारी के मुताबिक, यह बैंक पारंपरिक बैंक की तरह ही कार्य करेगा। यहां पर विद्यार्थी अपने क्रेडिट जमा और जरूरत पड़ने पर उनको हस्तांतरित या भुना भी सकेंगे। एनएसी बैंक में खाता खुलवाना अनिवार्य नहीं होगा। यह पूरी तरह से विद्यार्थी के ऊपर निर्भर है कि वह खाता खुलवाए या नहीं। अधिकारी के मुताबिक, इसका प्रमुख उद्देश्य पढ़ाई को विद्यार्थी केंद्रित करना है। इसके माध्यम से विद्यार्थी श्रेष्ठ पाठ्यक्रम चुन सकेंगे। वे अपने पाठ्यक्रम में अपने-अपने मुताबिक बदलाव कर सकेंगे। इस बैंक को कोई उपाधि देने का अधिकार नहीं होगा। यह अधिकार विश्वविद्यालयों के पास ही सुरक्षित रहेगा।
यह बैंक राष्ट्रीय शैक्षणिक संग्रहस्थान (एनएडी) के मानक ढांचे के तहत कार्य करेगा। इस योजना के तहत यह भी तय किया गया है कि विद्यार्थी जिस विश्वविद्यालय या संस्थान से उपाधि लेना चाहता है, उसे कम से कम 50 फीसद क्रेडिट वहीं से अर्जित करने होंगे। इसके अलावा 50 फीसद क्रेडिट वह बैंक से लेकर उपयोग कर सकता है।
विद्यार्थियों को मिलेगी स्वायत्तता
अभी तक भारतीय उच्च शिक्षा तंत्र में संस्थानों और शिक्षकों को स्वायत्ता प्राप्त है लेकिन जिन विद्यार्थियों के लिए यह तंत्र कार्य कर रहा है उन्हें बिलकुल भी स्वायत्ता नहीं है। एनएसी बैंक विद्यार्थियों को भी स्वायत्ता देगा। इसके माध्यम से वे अपनी पसंद का संस्थान, कॉलेज और पाठ्यक्रम चुन पाएंगे। इतना ही नहीं, वे अपने शौक को भी पूरा कर सकेंगे और उसके क्रेडिट भी उन्हें मिलेंगे।
