पिछले दिनों ‘दुनिया की सबसे अकेली चिड़िया’ मानी जाने वाली निजेल बर्ड की मौत हो गई। न्यूजीलैंड के माना द्वीप पर निजेल पत्थरों से बने कृत्रिम सी-बर्ड्स के साथ रहती थी। वन्य जीवों को आकर्षित करने के लिए पर्यावरणविदों ने इन कृत्रिम बर्ड्स का निर्माण किया था जिनके साथ निजेल रहती और कहीं जाना नहीं चाहती थी। पिछले पांच सालों से वह इस द्वीप पर अकेले रह रही थी। आज प्रस्तुत है, दुनिया की इस सबसे अकेली सी-बर्ड निजेल की स्मृति में रची गई डॉ सांत्वना श्रीकांत की कविता-

नहीं कहूंगी अलविदा तुम्हें

गुमनामी से निकल कर
तुम बन जाओगी खबर
किसने सोचा था निजेल?
पत्थरों के इस द्वीप पर
मिले कितने संगदिल तुम्हें
फिर भी खुश थी न तुम?
जिन्होंने अकेला कर दिया
तुम्हें एक दिन।
उस कृत्रिम दुनिया में
पालती रही तुम जीने का भ्रम,
जानती थी कि
चले जाएंगे सभी
तुमसे छल कर,
फिर भी न जाने क्यों
रम गई थी उस द्वीप पर।
समय की लहरों ने लील लिए
तुम्हारे सभी रिश्ते-नाते,
कोई तो नहीं बचा तुम्हारा;
लोग कहते हैं
अकेली रह गई थी निजेल।
स्वार्थ और लिप्सा में डूबे
कुछ नकली चेहरे
आए थे तुम्हारे पास
जिन्हें स्वीकार नहीं किया तुमने।
सच्चे साथी की तलाश में
माना द्वीप पर तुमने भरी थी
कई-कई बार उड़ान,
पर कोई तो नहीं मिला
जिसे तुम बना पाती
अपने सफर का साथी।
तब तुमने कंक्रीट के हमशक्लों को
ही बना लिया था अपना।
लेकिन बुतों से कोई
कब तक कर सकता है संवाद?
फिर भी तुमने किया,
जाने कितनी बार पुकारा
उन्हें साथी समझ कर।
ओह निजेल..
तुम्हारा कोमल-करुण स्वर
लौट कर डूब गया
समुद्र की उफनती लहरों में
और हमेशा की तरह
अकेली-उदास रह गई तुम।
कंक्रीट के बीच शून्यता को
जीते हुए तुमने
काश पुकारा होता मुझे
चली आती मैं
मीलों उड़ान भर कर,
तुम्हारी पीली चोंच से
लड़ाती अपनी नाक
तोड़ देती सन्नाटा
एकतरफा संवाद का।
कुछ और जी लेती
सुख का कतरा,
उस नीरवता में भी कर लेती
कुछ क्रीड़ा और कल्लोल
समय की लहरों पर।
उड़ लेती मेरे संग
बसा लेती एक दुनिया
एक अपनेपन का अनमोल।
सच कहूं निजेल,
तुम कहीं गई ही नहीं
मेरे दिल में हो सदा
इसलिए नहीं कहूंगी
तुम्हें कभी अलविदा।

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