बिहार बोर्ड के दसवीं के नतीजों में कई चौंकाने वाली बातें देखने को मिल रही हैं। पहले एक ही स्कूल के 42 बच्चों के टॉप 10 में शामिल होने पर विवाद हुआ तो अब पता चला है कि मेरिट लिस्ट में राजधानी पटना का एक भी स्टूडेंट शामिल नहीं है। इस साल रिजल्ट में भी खासी गिरावट देखी गई है। पिछले साल के 75.17 प्रतिशत के मुकाबले इस साल सिर्फ 46.66 प्रतिशत स्टूडेंट ही पास हो सके हैं।
जानकारों के मुताबिक, बिहार के किसी भी सरकारी स्कूल में सभी विषय के शिक्षक ही नहीं हैं। जो हैं, वे भी 2017-2019 तक रिटायर हो जाएंगे। गणित, विज्ञान जैसे विषयों के शिक्षक उपलब्ध ना होने के कारण इन विषयों की पढ़ाई नहीं हो पाती, इस वजह से रिजल्ट में गिरावट आती जा रही है।
राज्य के शिक्षामंत्री डॉ अशोक कुमार चौधरी ने कहा है कि मैट्रिक की परीक्षा में तीन विषय में फेल छात्र कंपार्टमेंटल परीक्षा में शामिल हो सकते हैं। यह परीक्षाएं अगस्त में होंगी जिसके नतीजे सितम्बर में घोषित कर दिए जाएंगे। कंपार्टमेंटल परीक्षा में पहली बार सफलता पाने वाले छात्रों को ग्रेड दिया जाएगा। राज्य में पहली बार ऐसी व्यवस्था लागू की जाएगी। इसी तरह से बारहवीं में भी कंपार्टमेंट परीक्षा कराई जाएगी।
शिक्षामंत्री ने कहा कि राज्य की स्कूली शिक्षा को सुधारने के लिए सरकार बड़ा बदलाव करने पर विचार कर रही है। सरकार अगले साल से आठवीं से ही परीक्षा लेगी। छात्रों का मूल्यांकन करने के लिए आठवीं से परीक्षा शुरू होगी। इसकी पहल नौंवी कक्षा से की जा रही है। इस बार नौंवी में पहली बार ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया गया है, जिसके आधार पर 2017 की मैट्रिक परीक्षा में छात्र शामि होंगे।