आज कहानी इजराइल के ऐसे ऑपरेशन की जिसे बिना रुके 36 घंटे के भीतर अंजाम दिया गया था। दरअसल, साल 1977 में मेनाखिम बेगिन जब इजराइल के प्रधानमंत्री बने तो उन्हें इथियोपिया में यहूदियों की दुर्दशा देखी नहीं गई। उस समय इथियोपिया में कर्नल मेन्जिस्टू की सरकार थी। जिसमें यहूदियों को भेदभाव के अलावा गरीबी, भुखमरी और उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा था। इसके अलावा उस दौर में यहूदियों के सामने सुरक्षा और अपने भविष्य को लेकर भी चिंता थी।
मोसाद ने चलाया ऑपरेशन मोसेज और जोशुआ: इजराइल दुनिया का एकमात्र यहूदी देश है, ऐसे में उन्हें इथियोपिया में फंसे यहूदियों के लिए सद्भावना थी। जिसके चलते उन्होंने सोचा कि इथियोपियाई यहूदियों को इजराइल में शरण दी जाए। हालांकि, इन सबके बीच सबसे बड़ी समस्या उनके दुश्मन देश थे, जो उसके किसी भी ऑपरेशन में रोड़ा अटका सकते थे। ऐसे में उसने अपनी खुफिया एजेंसी मोसाद को काम पर लगाया, जिसने अपने एजेंट्स के दम पर ऑपरेशन मोसेज और जोशुआ चलाया और शरणार्थी कैम्पों से करीब बीस हजार यहूदी इजराइल लाए गए। यह ऑपरेशन कई सालों तक चला था।
फिर लांच हुआ ऑपरेशन सोलोमन: 90 के दशक में इथियोपिया में कर्नल मेन्जिस्टू के सत्ता से हटने के बाद तक करीब 90 हजार यहूदी इथियोपिया से इजराइल पहुंचाए गए। लेकिन इन सालों के बीच अफ्रीका के कुछ देशों और इजराइल के पड़ोसी मुल्कों में स्थितियां बदल चुकी थी। फिर इजराइल ने मोसाद के सहारे काफी महंगे और खतरनाक माने जाने वाले ऑपरेशन सोलोमन को लांच किया। इजराइल ने यह ऑपरेशन 24 मई 1991 से 25 मई 1991 तक नॉन स्टॉप 36 घंटे तक चलाया, जिसमें 35 इजरायली विमानों से करीब 14 हजार इथियोपियाई यहूदियों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया था।
जब इजराइल ने बना दिया रिकॉर्ड: ऑपरेशन सोलोमन में इजराइल की वायु सेना ने अपने सी-130 एस और बोइंग-747 जहाजों का इस्तेमाल किया था। दरअसल, बोईंग-747 एक कार्गो विमान था; जिसमें एक साथ 1086 यात्रियों/क्रू-मेंबर के साथ उड़ान भरी थी। यह उस समय इजराइल द्वारा बनाया गया एक रिकॉर्ड था, जिसमें किसी विमान में इतने यात्रियों ने एक साथ उड़ान भरी थी। इजराइल ने रिकॉर्ड समय में हजारों यहूदियों का इथियोपिया से सफल रेस्क्यू कर पूरी दुनिया को अपना दम दिखा दिया था।
बैठे थे 1086 यात्री पर उतरे 1088 लोग: ऑपरेशन सोलोमन के दौरान कार्गो विमान बोईंग-747 ने 1086 यात्रियों के साथ उड़ान भरी थी। लेकिन रोचक बात यह थी कि जब विमान इजराइल की धरती पर उतरा तो यात्रियों की संख्या बढ़कर 1088 हो गई थी। क्योंकि इस विमान में यात्रा कर रही दो गर्भवती महिलाओं ने उड़ान के दौरान ही दो बच्चों को जन्म दिया था। ऐसे में ऑपरेशन सोलोमन को अंजाम देने वाले लोगों और गरीबी, भुखमरी और उत्पीड़न से दूर जाकर नया बसेरा मिलने वाले लोगों के लिए भावुक पल था।