UPSC के लिए कई बार कैंडिडेट्स जी-तोड़ मेहनत करते हैं, लेकिन नतीजे उन्हें निराश कर देते हैं। IPS अधिकारी शालिनी अग्निहोत्री की कहानी उन सभी के लिए मिसाल साबित होगी। शालिनी अग्निहोत्री के पिता बस कंडक्टर थे। उनका परिवार मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के छोटे से गांव का रहने वाला है। शालिनी अग्निहोत्री ने बचपन में ही अपनी मंजिल तय कर ली थी और इसके लिए कॉलेज में ही तैयारी शुरू कर दी थी।

बचपन में शालिनी अग्निहोत्री बस में सफर कर रही थीं। यहां एक अनजान व्यक्ति ने सीट पर हाथ लगाया हुआ था। इससे उनकी मां को काफी परेशानी हो रही थी और वह ठीक तरीके से सीट पर बैठ भी नहीं पा रही थी। शालिनी अग्नहोत्री की मां ने कई बार उस व्यक्ति को हाथ हटाने के लिए कहा था, लेकिन उसने एक नहीं सुनी। कई बार कहने के बाद व्यक्ति गुस्सा हो गया और कहा- तुम कहां की डीसी लग रही हो जो तुम्हारी बात मानी जाए।

नशे के खिलाफ किया था सख्त काम: शालिनी भी इस दौरान अपनी मां के साथ थी तो उनके दिल और दिमाग में ये बात बहुत चुभी। उन्होंने उसी पल तय कर लिया कि अब अधिकारी बनकर ही दम लेंगी। बचपन के सपने को पूरा करने के लिए शालिनी अग्निहोत्री ने बचपन में ही यूपीएससी के लिए तैयारी शुरू कर दी थी। इसके साथ वह बचपन से ही पढ़ाई में बहुत होशियार थीं। शालिनी के कॉलेज के होस्टल का माहौल बहुत शांत था। उन्होंने इसका फायदा भी उठाया और यहीं पर अपनी तैयारी जारी रखी।

शालिनी अग्निहोत्री ने यूपीएससी परीक्षा के बारे में अपने परिजनों को भी नहीं बताया था। उन्हें डर था कि अगर वह इस परीक्षा में कामयाब नहीं हो पाईं तो परिजनों को काफी बुरा लगेगा। UPSC 2011 की परीक्षा में शालिनी अग्निहोत्री ने 285 रैंक हासिल की थी। इसी के साथ उनका आईपीएस अधिकारी बनने का भी सपना पूरा हो गया था। शालिनी अग्निहोत्री ने नशे के खिलाफ सख्त कार्रवाई की थी। हिमाचल प्रदेश कैडर मिलने के बाद उनकी कई अहम जगहों पर तैनाती हो चुकी है।