कहते हैं कि अगर आप अपने लक्ष्य के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं तो सफलता एक दिन जरूर मिलती है। इस बात को झारखंड के उत्कर्ष कुमार ने सच कर दिखाया है। उत्कर्ष कुमार ने सामाजिक बदलाव के लिए यूपीएससी सिविल सेवा में शामिल होने का फैसला किया। इसके लिए उन्होंने सालाना 29 लाख रुपये के पैकेज की नौकरी तक छोड़ दी।

नौकरी छोड़ने के बाद उत्कर्ष ने करीब 3 साल तक संघर्ष किया। इसके बाद 2020 में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 55 हासिल की और अपने सपने को पूरा किया। बता दें कि उत्कर्ष मूल रूप से झारखंड के हजारीबाग के रहने वाले हैं। उनकी मां टीचर और पिता जूनियर इंजीनियर हैं। इंटरमीडिएट की पढ़ाई के बाद उत्कर्ष ने आईआईटी एंट्रेंस एग्जाम पास किया और आईआईटी बॉम्बे से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की।

उत्कर्ष को एक मल्टीनेशनल कंपनी में सालाना 29 लाख रुपये के पैकेज पर नौकरी तो मिल गई लेकिन उनका सपना अभी अधूरा था। उन्होंने कुछ साल मल्टनेशनल कंपनी में नौकरी करने के बाद सिविल सेवा में आने का फैसला किया और नौकरी से इस्तीफा दे दिया।

हालांकि यह उनके जीवन का जोखिम भरा फैसला था। लेकिन उत्कर्ष को अपनी मेहनत पर पूरा यकीन था। इस फैसले में उन्हें परिवार का भी सपोर्ट मिला। उत्कर्ष ने जब पहली बार UPSC परीक्षा दी तो उन्हें सफलता नहीं मिली। लेकिन 2020 में उन्होंने दूसरे प्रयास में 55वीं रैंक हासिल की।

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उत्कर्ष का मानना है कि यूपीएससी सिविल सेवा की परीक्षा में किसी भी प्रतियोगी को हर विषय का बैलेंस बनाकर चलना चाहिए। किसी सब्जेक्ट को कम नहीं आंकना चाहिए और बराबर समय देना चाहिए। उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करने वालों प्रतिभागियों के लिए कहा कि पढ़ाई के साथ-साथ नोट्स बनाते रहें और उत्तर पुस्तिका लिखने का अभ्यास करें। उत्कर्ष मानते हैं कि अगर आप इस तरह का शेड्यूल अनुसरण करेंगे, तो आपको जल्द सफलता मिल सकती है।

उत्कर्ष का मानना है कि तैयारी के लिए अच्छे सोर्सेस से पढ़ने के लिए मटीरियल तैयार करना चाहिए। वे कहते हैं कि अगर अभ्यर्थी सही दिशा में कड़ी मेहनत करे, तो सफलता एक दिन मिलनी ही है। यूपीएससी की तैयारी में परिवार का सपोर्ट जरूरी मानने वाले उत्कर्ष का कहना है कि इससे आप कठिन परिस्थितियों में निखरेंगे और मंजिल तक जरूर पहुंच जाएंगे।