अफगानिस्तान में तालिबान ने दावा किया है कि उसने पंजशीर पर कब्जा कर लिया है। पंजशीर ही एक ऐसा प्रांत था जहां तालिबान अभी तक कब्जा नहीं कर पाया था।

पंजशीर में तालिबान को विद्रीही गुटों से कड़ी टक्कर मिल रही थी। यहां अफगान प्रतिरोधी मोर्चे के लड़ाके तालिबानियों से लोहा ले रहे थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक यहां तालिबान को अपने सैकड़ों लड़ाकों को खोना पड़ा है। साथ ही कई ने आत्मसमर्पण भी कर दिया था।

रविवार को तालिबान ने कहा कि उसने पंजशीर प्रांत के सभी जिलों पर नियंत्रण कर लिया है, हालांकि उसके इस दावे का अफगान प्रतिरोधी मोर्चे ने खंडन किया है।

टोलोन्यूज ने रविवार को बताया कि तालिबान के सांस्कृतिक मामलों के आयोग के उप प्रमुख अहमदुल्ला वसीक ने कहा- ” लड़ाके पंजशीर के सभी जिलों और क्षेत्रों में पहुंच चुके हैं।”

वसीक ने कहा कि पंजशीर के सभी इलाके तालिबान के नियंत्रण में है। तालिबान ने यह भी दावा किया कि प्रतिरोधी बलों को इस लड़ाई में भारी नुकसान उठाना पड़ा है। उसके कई बड़े हथियार नष्ट कर दिए गए हैं।

हालांकि, रेजिस्टेंस फ्रंट के एक नेता ने तालिबान के दावे का खंडन करते हुए कहा कि प्रतिरोधी बलों ने रविवार को तालिबान से पंजशीर के पेरियन जिले को फिर से छीन लिया था। इस लड़ाई में हमारे लड़ाकों ने तालिबान को भारी नुकसान पहुंचाया था।

रेसिस्टेंस फ्रंट के प्रवक्ता फहीम दशती ने कहा कि नाकाबंदी के कारण कम से कम एक हजार तालिबानी लड़ाके फंस गए थे। ये लड़ाके जब पीछे हटने लगे तो स्थानीय लोगों की मदद से हमारी सेना ने इन्हें मार दिया। इनमें से कई ने आत्मसमर्पण कर दिया या पकड़ लिये गए। गिरफ्तार लोगों में ज्यादातर विदेशी हैं और उसमें भी पाकिस्तानी सबसे ज्यादा हैं।

बता दें कि पंजशीर अफगानिस्तान का एकमात्र प्रांत था, जो तालिबान के अधीन नहीं था, यहां अहमद शाह मसूद का बेटा अहमद मसूद, तालिबान के खिलाफ प्रतिरोध का नेतृत्व कर रहा है। मसूद ने स्थानीय लड़ाकों, अफगान सेना और विशेष बल इकाइयों के कई सदस्यों के साथ एक सेना तैयार की है। यही सेना तालिबान के खिलाफ इस इलाके में जंग लड़ रही है।