रूस-यूक्रेन युद्ध को करीब 50 दिन होने को हैं और इस बीच कई सारी दिल-दहलाने वाली तस्वीरें सामने आई हैं। रूस लगातार यूक्रेन के शहरों पर बमबारी कर रहा है। दुनिया भर में बूचा नरसंहार की कड़ी निंदा की जा रही है लेकिन हर रोज रूसी सैनिकों की बर्बरता से जुड़े किस्से सामने आ रहे हैं। कहा जा रहा है कि अब रूसी सैनिक आम लोगों को अपना निशाना बना रहे हैं।
इस प्रकरण पर यूक्रेन के आंतरिक मंत्रालय ने भी बीते दिनों कहा था कि, रूसी सैनिकों के हमले से बूचा और कीव के अन्य उपनगरों में 720 से अधिक लोग मारे गए हैं, जबकि 200 से अधिक लापता हैं। अब द एसोसिएटेड प्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि यूक्रेन की राजधानी कीव से 140 किलोमीटर दूर स्थित याहिदने गांव के निवासियों को रूसी सैनिकों ने 300 से अधिक ग्रामीणों को एक स्कूल के तहखाने में मजबूर कर दिया था।
याहिदने गांव के लोगों ने एपी को बताया कि फिर, मार्च की शुरुआत में उत्तरी शहर चेर्निहाइव के आसपास के क्षेत्र पर रूसियों द्वारा नियंत्रण किए जाने के बाद उन्हें बंदूक की नोक पर तहखाने में जाने का आदेश दिया गया था। इसमें कई हफ्तों तक भीषण तनाव से गुजरने और सुविधाओं के अभाव के चलते कुछ लोगों की मौत हो गई थी। एक अंधेरे कमरे में बंद रहे जो लोग बच गए, उन्होंने उन 18 लोगों के नाम दीवार पर लिखे; जिन्होंने तहखाने में दम तोड़ दिया था।
वैलेंटाइना सरॉयन नाम की महिला ने उन हालातों को याद करते हुए बताया कि वह एक तहखाने में कैद थी। यहां बहुत ही थोड़ी रोशनी थी, जिसमें मैंने पहले देखा कि एक बूढ़े आदमी की मौत हो गई और फिर दूसरे ही दिन उसके पत्नी की भी मौत हो गई थी। यह सब बहुत कष्टदायी था। इस दौरान मेरे बगल में बैठे हुए आदमी ने भी अगले दिन दम तोड़ दिया और फिर एक महिला भी नहीं रही। वह काफी भारी थी, जिसे तहखाने से निकालना भी बड़ा मुश्किल हो रहा था।
चेर्निहाइव के बाहरी इलाके में स्थित याहिदने के निवासियों ने कहा कि उन्हें दिन-रात तहखाने में रहने के लिए मजबूर किया गया था। उन्हें केवल कैम्प फायर पर खाना बनाने या शौचालय का उपयोग करने की अनुमति दी जाती थी। जिसके चलते कई लोगों को स्वास्थ्य खराब हो गया था। लोगों का कहना है कि वह दिन-प्रतिदिन कब्जे वाले क्षेत्रों से आने वाली खबरों से डरे हुए हैं। यूक्रेन के कई इलाकों में रूसी सैनिकों की बर्बरता लगातार जारी है।
वैलेंटाइना सरॉयन ने अपने पैर का दर्द याद करते हुए कहा कि उस तहखाने में केवल एक कुर्सी थी। जिस पर उन्होंने एक महीने बैठकर गुजारे। सरॉयन के मुताबिक, जब हमें तहखाने में ठूंसा गया तो थोड़े दिन बाद ही लोगों की मौत होनी शुरू हो गई। लेकिन कभी-कभी ही शवों को पास के कब्रिस्तान में बनाई गई सामूहिक कब्र में रखने की अनुमति दी जाती थी। बचे हुए गांव के लोगों का मानना है कि रूसी सैनिक और अधिक क्रूर हो सकते हैं।
एक अन्य महिला स्वितलाना बागुटा ने बताया कि एक नशे में धुत्त रूसी सैनिक ने बंदूक की नोक पर एक फ्लास्क में उसके लिए ड्रिंक तैयार की। फिर गर्दन पर बंदूक टिकाते हुए उसने मुझसे कहा कि इसे पी लो। वहीं, जूलिया सुर्यपक ने बताया कि रूसी सैनिकों ने कुछ लोगों को रूसी एंथम गाने की शर्त पर घर जाने की इजाजत दी थी। बता दें कि, अप्रैल की शुरुआत में वापसी के चलते रूसी सैन्य बलों ने उत्तरी यूक्रेन से क्षेत्रीय हिस्सों में शहरों को खाली कर दिया था।