बिहार की जमीन से कई ऐसे अफसर निकले जिन्होंने खूब नाम कमाया और देश के विकास में योगदान दिया। लेकिन इसी धरती से कुछ ऐसे अपराधी भी निकलें, जिन्होंने अपराध की गाथा लिखी। इन्हीं में से एक नाम है सूरजभान सिंह। मोकामा की धरती में पैदा हुए सूरजभान सिंह ने अपराध और राजनीति दोनों क्षेत्रों में नाम कमाया।
सेना में भेजना चाहते थे पिता: सूरजभान सिंह का जन्म बिहार के मोकामा में 5 मार्च 1965 को हुआ। सूरजभान के पिता एक दुकान पर नौकरी करते थे तो वहीं बड़े भाई को बाद में सेना में नौकरी मिल गई थी। पिता चाहते थे कि छोटा बेटा भी सेना में जाए और घर की जिम्मेदारी उठाए। हालांकि सूरजभान के भाग्य में कुछ और ही लिखा था। थोड़ा बड़े हुए तो संगत ऐसी मिली कि रंगदारी और वसूली करने लगे। लेकिन थोड़े ही दिनों में हत्या, अपहरण जैसे अपराध सूरजभान के लिए बहुत छोटे काम हो गए थे।
दो लोगों ने बनाया बाहुबली: अस्सी के दशक में बिहार बढ़ रहा था और वहां कुछ बाहुबली भी पनप चुके थे। ऐसे में सूरजभान ने इन बाहुबलियों का साथ लिया। 90 का दशक आते-आते सूरजभान ने अपराध की ऐसी सीढियां चढ़ी कि उनका नाम तत्कालीन बाह्बली दिलीप सिंह और श्याम सुन्दर सिंह धीरज के साथ गिना जाने लगा। दरअसल, यही वो दोनों शख्स से जिन्होंने सूरजभान को अपने साथ रखकर बाहुबली बनाया था। इस वक्त तक कई संगीन जुर्मों से जुड़े दर्जन भर मामले सूरजभान पर दर्ज थे।
गुरु के खिलाफ लड़ा चुनाव: साल 2000 में सूरजभान सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी बनकर बिहार सरकार में मंत्री दिलीप सिंह के खिलाफ विधानसभा चुनावों में पर्चा भर दिया। चुनाव परिणाम घोषित हुए तो सूरजभान विधायक बन गए। अब करीब दो दर्जन से अधिक संगीन जुर्मों के आरोप वाला अपराधी, माननीय बन चुका था। विधायक रहते हुए सूरजभान का रुतबा और बढ़ गया, साथ ही उसके दूसरे काम भी जारी रहे।
विधायक के बाद सांसद: इसके बाद, सूरजभान ने 2004 में रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी यानी एलजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और बलिया (बिहार) से सांसद बन गया। कहा जाता है कि यही वह बाहुबली था, जिसने नीतीश सरकार में संकटमोचक की भूमिका निभाई थी।
आपराधिक इतिहास: बाहुबली का आपराधिक इतिहास कई अपराधों से भरा रहा, लेकिन कई गुनाह ऐसे थे जो कभी साबित ही नहीं हो पाए। सूरजभान के ऊपर मंत्री बृजबिहारी प्रसाद की हत्या समेत 30 से ज्यादा मामले दर्ज हैं। बेगूसराय के एक हत्या मामले में तो सूरजभान को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी, जिसके बाद निर्वाचन आयोग ने उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया था। हालांकि उनकी पत्नी वीणा देवी बाद में राजनीति में सक्रिय हो गई।
ऐसे अपराध जिनकी गूंज देश भर में रही: साल 1992 में बेगूसराय में रामी सिंह नाम की व्यक्ति को पांच गोलियां मारी गई थी और जब मामला कोर्ट पहुंचा था तो सूरजभान को लोअर कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। वहीं साल 1998 में राबड़ी देवी सरकार में मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की हत्या मामले में भी सूरजभान का नाम आया था।
मंत्री हत्या मामले में साल 2009 में निचली अदालत ने सूरजभान समेत सभी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, लेकिन बाद में सूरजभान बरी हो गया। वहीं साल 2003 में दिनदहाड़े हुए उमेश यादव हत्याकांड में भी सूरजभान को मामले में सुनवाई के बाद उसे बरी कर दिया गया था।