आज बात मोसाद के उस ऑपरेशन की जिसमें इराक में घुसकर मिग-21 विमान चुराना था। 60 के दशक में रूस, मिग-19 को हटाकर मिग-21 विमानों का निर्माण शुरू कर चुका था। यह सुपरसोनिक जेट कैटेगरी में आता था, जो दुश्मनों को चकमा देने के लिए जाना जाता था। रूस से इन्हीं विमानों को खरीद कर मिस्र, सीरिया व इराकी वायुसेना इजराइल को नुकसान पहुंचा रही थी।
इजराइल ने इन विमानों का तोड़ ढूंढने के लिए एक ऑपरेशन डायमंड लांच किया। 1960 में इस ऑपरेशन की शुरुआत मिस्र से हुई और इसकी कमान जीन थॉमस नाम के अधिकारी को दी गई। लेकिन मोसाद पहली बार में ही बड़ा झटका खा गया। जीन थॉमस समेत 2 लोगों को जासूसी और विमान को चुराने की योजना में पकड़ लिया गया। फिर उन्हें फांसी दे दी गई। मोसाद का ऑपरेशन डायमंड थम गया।
मोसाद ने अपने दूसरे प्रयास में इस ऑपरेशन को इराक से ही लांच करने की सोची। इस बार मोसाद एजेंट्स इराकी पायलट से विमान अधिग्रहण के सिलसिले में मिले और पैसों का लालच दिया। इराकी पायलट मान गए लेकिन कुछ दिनों में वह अपने वादे से मुकर गए। मोसाद के लिए यह दूसरा झटका था। फिर चार साल बाद 1964 में मोसाद ने एक इराकी ईसाई पायलट मुनीर रेड्फा से बात की।
मुनीर इराकी वायुसेना में पायलट था लेकिन नौकरी से तंग आ चुका था। उसे ईसाई होने के कारण समय से प्रमोशन नहीं दिया जा रहा था और वह देश छोड़ना चाहता था। मोसाद की महिला जासूस ने मुनीर को लुभावने ऑफर दिए और मुनीर राजी हो गया। इसके बाद मुनीर ने यूरोप में इजराइली अधिकारियों से मीटिंग की और पूरी योजना समझी। इसके अलावा मुनीर को 10 लाख डॉलर, इजराइल में पूर्णकालिक रोजगार और उसके परिवार के लोगों की सुरक्षा का भरोसा दिया गया।
मुनीर अपनी नौकरी से परेशान था लेकिन उसे विमान और उड़ान की अच्छी जानकारी थी। 16 अगस्त 1966 को मुनीर ने मिग-21 विमान में ईंधन भरवाया और योजना के तहत दूर पश्चिम की तरफ निकल गया। इस दौरान वह जॉर्डन के वायुक्षेत्र में पहुंचा, जहां उसे इराकी वायुसेना की तरफ से चेतावनी मिली कि वह विमान को इससे आगे न लेकर जाए। मुनीर ने अपना रेडियो ट्रांसमिशन बंद कर दिया।
कुछ ही मिनटों में मुनीर ने मिग-21 विमान को इजराइली वायुक्षेत्र में घुसा दिया और यहां पहले से ही दो मिराज जहाज उसकी मदद के लिए तैयार थे। मुनीर रेड्फा ने मिग-21 विमान की इजराइल में सुरक्षित लैंडिंग करा दी। दूसरी तरफ, मुनीर के परिवार को भी मोसाद के एजेंट्स छुट्टियों के बहाने इजराइल ला चुके थे। बताया जाता है कि जब मिग-21 विमान जब इजराइली एयरबेस पर उतरा तो उसमें ईंधन लगभग ख़त्म हो चुका था।
इस घटना के बाद इराकी और रशियन अथॉरिटी ने विमान को लौटाने की मांग की, लेकिन इजराइल नहीं माना। सवाल उठने पर फौरन इजराइल ने मिग-21 का नाम बदलकर ‘007’ कर दिया। इजराइली खुफिया एजेंसी मोसाद ने 6 साल तक ऑपरेशन डायमंड चलाया और आखिर में मिग-21 विमान को इराक से चुराकर इजराइल लाया गया। इसके बाद विमान के अध्ययन की जिम्मेदारी इजराइल के विमान विशेषज्ञों को दी गई ताकि वह इसकी बारीकियों के बारे में समझ सकें।