आधुनिक युग में अंध विश्वास के चक्कर में किसी मासूम की जान ले लेना रोंगटे खड़े कर देने वाली बात है। भागलपुर जिले के पीरपैंती में ऐसी ही एक वारदात सामने आई है। यहां के श्रीमतपुर हजूर नगर पंचायत के विनोवा टोला गांव में सिकंदर रविदास के दस साल के बेटे कन्हैया की संतान प्राप्ति के लिए अंधविश्वास में उसके सगे चाचा और चाची ने गला रेतकर बलि दे दी। आरोपी शिव रविदास और उसकी पत्नी को पुलिस ने फौरन गिरफ्तार कर लिया है।

एसएसपी आशीष भारती के मुताबिक इसे गांव के ही तांत्रिक विलास मंडल ने ऐसा करने के लिए उकसाया है। जिसे भी नामजद आरोपी बनाया गया है। पुलिस ने विलास को भी गिरफ्तार कर लिया है। बताया जाता है कि शिव रविदास को कोई संतान नहीं है। तांत्रिक विलास मंडल के बहकावे में आकर वह अपने सगे भाई के सबसे छोटे बेटे कन्हैया को दिवाली की रात घर से फुसलाकर सुनसान जगह ले गया और गला रेत हत्या कर दी। दिवाली की रात ही काली प्रतिमा की स्थापना होती है। कहते हैं विलास ने इसे बताया कि काली को आज रात बलि देने से संतान के तौर पर पुत्र प्राप्ति होती है। बस इस बात का पति-पत्नी को यकीन हो गया और अपने सगे भतीजे की ही जान ले ली।

इधर रात भर घर वाले कन्हैया को ढूंढते रहे। आखिरकार थाना पहुंच इत्तिला दी गई। पुलिस ने सोमवार को बांस के खेत से उसकी लाश बरामद की है। लाश को देखने पर जाहिर होता है कि पहले उसका गला रेता गया। फिर गुप्तांग काटा गया। मसलन बलि की तर्ज पर ही उस मासूम के शरीर के साथ नृशंसता की गई। पुलिस ने नामजद एफआईआर कर शव का पोस्टमार्टम कराने जवाहरलाल नेहरू भागलपुर मेडिकल कालेज अस्पताल लाया है।

मासूम मृतक कन्हैया का पिता सिकंदर रविदास पंजाब के पटियाला में मजदूरी करता है। इसकी पत्नी मीना देवी गांव में रहकर अपने बच्चों की परवरिश करती है। बेटे की मौत पर रो-रोकर उसका बुरा हाल है। घटना से गांव में गम व दहशत का माहौल है। पुलिस चौकसी कर रही है। वारदात की चर्चा दूर-दूर तक गांवों में है। 21वीं सदी में ऐसी वारदात से लोग अचंभित हैं।