देश में पिछले कुछ साल में जहां डिजिटल लेनदेन बढ़ा है तो वहीं साइबर अपराध के मामले बढ़े हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, साइबर क्राइम के मामलों में 11 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है। साथ ही गृह समिति ने चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि अब अपराधी नए-नए तरीकों से अपराध को अंजाम दे रहें हैं। ऐसे में आज हम आपको पांच ऐसी बातें बताएंगे, जिससे आप सेफ डिजिटल ट्रांजैक्शन तो करेंगे ही बल्कि ऑनलाइन ठगी से भी बचे रहेंगे।

क्यूआर कोड का रखे ध्यान: अक्सर हम किसी भी उत्पाद को खरीदने या लेनदेन के वक्त क्यूआर कोड को स्कैन करते हैं। ऐसे में ध्यान देने वाली बात यह है कि जब भी क्यूआर कोड (QR Code) स्कैन करके पेमेंट करें तो डिस्प्ले हो रहे नाम को जरूर चेक करें। साथ ही इस बात की पुष्टि कर लें कि हम जिसे पेमेंट कर रहे हैं वह उचित खाते में जा रहा है या नहीं। दरअसल, जालसाज अक्सर बड़े मर्चेंट के क्यूआर कोड को अपने क्यूआर कोड से बदल देते हैं। ऐसे में पेमेंट ठगों के खाते में चला जाता है।

संदिग्ध वेब लिंक या ईमेल पर न करें क्लिक: ऐसा कई मामलों में देखा गया कि साइबर अपराधी डिवाइस को हैक करने के लिए मैसेज या ईमेल के माध्यम से वेब लिंक्स (web links) भेजते हैं। ठगों के इस लिंक में मॉलवेयर या वायरस रहता है। यदि सामने वाला व्यक्ति अनजाने या जिज्ञासावश उस लिंक पर क्लिक कर देता है तो साइबर अपराधी डिवाइस को अपने कंट्रोल में लेकर पर्सनल डिटेल्स चुरा लेते हैं। ऐसे में किसी भी संदिग्ध वेब लिंक या ईमेल पर क्लिक न करें।

पब्लिक Wi-Fi को यूज करने से बचें: यदि आप किसी पब्लिक वाई-फाई को इस्तेमाल में लेकर ऑनलाइन पेमेंट करते हैं तो यह खतरा मोल लेने जैसा है। क्योंकि, अधिकतर साइबर अपराधी पब्लिक वाई-फाई के जरिए किये गए पेमेंट की डिटेल्स पर नजर रखते हैं। साथ ही पब्लिक वाई-फाई (Wi-Fi) से लॉग इन आईडी और पासवर्ड हैक होने का भी खतरा रहता है।

टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन का करें इस्तेमाल: यदि कोई भी व्यक्ति फोन में मौजूद एप या नेटबैंकिंग के जरिए डिजिटल लेनदेन करता है तो उसे टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (Two-Factor Authentication) का उपयोग करना चाहिए। ऐसे में कोई भी लेनदेन बिना ऑथेंटिकेशन के पूरा नहीं हो पाएगा।

अलग और मजबूत पासवर्ड आज की जरूरत: अक्सर लोग अपनी पर्सनल जानकारी से जुड़ी तारीखों को ही अपना यूपीआई या नेटबैंकिंग पासवर्ड बना लेते हैं। इसके पीछे हर बार पासवर्ड भूल जाना मुख्य कारण होता है, हालांकि हमें ऐसा करने से बचना चाहिए। ध्यान रहे कि कभी भी जीमेल, यूपीआई या नेटबैंकिंग का पासवर्ड अपने नाम, पिता के नाम, बाइक-कार नंबर या फिर अपने बर्थ ईयर पर नहीं रखना चाहिए।