आखिरकार एक बाप के सिर से बेटी से बलात्कार का कलंक मिट गया। लेकिन, अफसोस कि वह न्याय मिलने तक इस दुनिया में जिंदा नहीं रहा। निचली अदालत द्वारा बेटी से रेप मामले में दोषी एक शख्स को दिल्ली हाई कोर्ट ने बरी कर दिया। उच्च न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट को फटकार लगाते हुए उसे केस को गलत ढंग से समझने की बात कही। उच्च न्यायलय ने इस मामले को चिंताजनक बताते हुए न्याय के साथ खिलवाड़ करार दिया। निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराये जाने के 17 साल बाद यह फैसला आया है।
1996 में नाबालिग बेटी ने पिता पर रेप का आरोप लगाया। जिसके बाद ट्रायल कोर्ट ने उसे 10 साल की सजा सुनाई। पिता ने 10 साल की सजा पूरी की और अपनी जिदंगी के आखिरी 22 साल बेटी से बलात्कार का कलंक लिए जीता रहा। इसी साल फरवरी, 2018 में उसकी मौत हो गई। हाई कोर्ट ने माना की आरोपी लगातार खुद को निर्दोष बताता रहा और जांच में गड़बड़ी की बात कहता रहा। ट्रायल के दौरान व्यक्ति ने बताया भी कि उसकी बेटी का एक लड़के ने अपहरण किया और उसके साथ यौन संबंध बनाए। जिसके बाद वह गर्भवती हुई। लेकिन, उसके दावे को जांच एजेंसी ने तवज्जो नहीं दी। पिता इस केस में डीएनए जांच की भी मांग करता रहा। लेकिन, इसे भी नज़रअंदाज किया गया।
हाई कोर्ट ने कहा, “जांच पूरी तरह से एक तरफा थी। इस पूरे मामले पर अदालत सिवाय अफसोस जाहिर करने के और कुछ नहीं कर सकता। केस में कई तथ्यों और परिस्थितियों को ट्रायल कोर्ट ने दरकिनार किया।” गौरतलब है कि 1996 में सेना के इंजीनियरिंग सेवा में कार्यकरत एक पिता के खिलाफ उनकी बेटी ने 1991 से लगातार रेप का आरोप लगाया। तब उस वक्त वे जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में रहते थे। हालांकि, इस पूरे मामले में लड़की के परिवार के बाकी सदस्य इस आरोप से समहत नहीं थे। लड़की की मां ने अपने पति को न्याय दिलाने के लिए आखिर तक लड़ाई लड़ी।