कनाडा के एक स्कूल में 215 बच्चों के शव मिलने से हड़कंप मच गया था। सबसे बड़ी बात है ये शव जिस स्कूल में मिले थे वह दशकों से बंद पड़ा हुआ था। ये कभी कनाडा का सबसे बड़ा बोर्डिंग स्कूल हुआ करता था। इस स्कूल की पहचान देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी थी। यही वजह थी कि यहां दुनियाभर से बच्चे आते थे। इस स्कूल परिसर का नाम था- केमलूप्स इंडियन रेसिडेंशियल स्कूल।

इस मामले पर जस्टिन ट्रूडो ने भी हैरानी जताई थी और दुनियाभर में इसकी चर्चा हो रही थी। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा था, ‘प्रधानमंत्री के तौर पर उस शर्मनाक नीति के कारण स्तब्ध हूं, जिसमें देश के बच्चों को उनके समुदायों से चुरा लिया जाता है। दुख की बात तो यह है कि यह इस तरह की इकलौती घटना नहीं है।’

अन्य ट्वीट में प्रधानमंत्री ट्रूडो ने लिखा था, ‘हमें सच्चाई को स्वीकार करना ही होगा (Canada Missionary Schools History)। आवासीय विद्यालय हमारे देश में एक सच्चाई है-एक त्रासदी है। बच्चों को उनके परिवारों से ले लिया जाता है और या तो उन्हें लौटाया ही नहीं जाता या फिर बुरी हालत में लौटाया जाता था।’

न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, मामले पर करीब छह साल तक रिसर्च करने के बाद तैयार की गई रिपोर्ट से पता चलता है कि इस स्कूल का संचालन कनाडा की राजधानी ओटवा में क्रिश्चियन चर्चों के द्वारा किया जाता था और जांच एजेंसियों को मिले दस्तावेजों के आधार पर इसकी पुष्टि होती है कि यहां पढ़ने वाले करीब 1 लाख 50 हजार बच्चों को शारीरिक उत्पीड़न, रेप जैसे अपराध का सामना करना पड़ा और उन्हें कई दिनों तक बिना खाने के भी रखा गया था। ब्रिटिश कोलंबिया में स्थित ये स्कूल साल 1978 में ही बंद हो गया था।

रिपोर्ट में बताया गया कि इसमें से करीब 4100 बच्चों की मौत हो गई थी और 215 बच्चों को स्कूल के ग्राउंड में ही दफना दिया गया था। हालांकि इस खोज से पहले इसका कोई सबूत सरकार को नहीं मिला था। इस बात के लिए कनाडा सरकार ने 2008 में भी माफी मांगी थी।

इंडिया टुडे के मुताबिक, स्कूल के एक अधिकारी रोजैन केसिमीर ने बताया था कि पिछले हफ्ते ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार की मदद से जमीन के नीचे शवों के दफन होने की जानकारी मिली थी. आशंका जताई है कि अभी और शव बरामद हो सकते हैं क्योंकि अभी छानबीन जारी है.