अफगानिस्तान सरकार में आंतकी संगठन हक्कानी ग्रुप को शामिल करने के बाद अब तालिबान उसे अमेरिका की ब्लैकलिस्ट से हटाने की कोशिशों में जुट गया है। इसके लिए तालिबान, अमेरिका को दोहा समझौते की याद दिला रहा है।

तालिबान चाहता है कि हक्कानी नेटवर्क के सदस्य को अमेरिकी प्रतिबंध सूची से हटा दिया जाए। हक्कानी समूह वर्तमान तालिबान सरकार में सबसे मजबूत ग्रुप बनकर उभरा है। गृहमंत्री जैसा महत्वपूर्ण पद हक्कानी नेता सिराजुद्दीन हक्कानी को मिला है। सिराजुद्दीन अमेरिका के मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल है। इसलिए तालिबान अब उसे मान्यता दिलाने में लगा है।

सूत्रों के अनुसार तालिबान ने दावा किया कि ब्लैक लिस्ट में हक्कानी की मौजूदगी दोहा समझौते का उल्लंघन है। तालिबान ने स्पष्ट किया कि उसके मंत्रिमंडल और हक्कानी नेटवर्क के परिवार के सदस्यों पर पेंटागन की ब्लैक लिस्ट वाली स्थिति स्वीकार्य नहीं होगी।

तालिबान ने कहा- “हम इसे दोहा समझौते का स्पष्ट उल्लंघन मानते हैं। हक्कानी का परिवार इस्लामिक अमीरात का हिस्सा है और उसका कोई अलग नाम और संगठन नहीं है। ऐसा करके अमेरिका हमारे आंतरिक मामलों में दखल दे रहा है। हम इसे स्वीकार नहीं करते हैं और यह एक गुमराह करने वाली स्थिति है। अमेरिका को जल्द से जल्द राजनयिक संबंध बनाने पर विचार करना चाहिए”। तालिबान के सूत्रों ने सीएनएन-न्यूज 18 को बताया।

मंगलवार को जब तालिबान ने अपनी नई अंतरिम सरकार की घोषणा की, तो हक्कानी नेटवर्क से चार को कैबिनेट सदस्य के रूप में नामित किया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, नए कैबिनेट के कम से कम पांच सदस्य संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंधित सूची में बताए जा रहे हैं। तालिबान भी संयुक्त राष्ट्र और अमेरिकी प्रतिबंधों के अंदर है।

तालिबान ने अफगानिस्तान की नई सरकार में गृहमंत्री की जिम्मेदारी जिस सिराजुद्दीन हक्कानी को दी है, उस पर एफबीआई ने 10 मिलियन डॉलर का इनाम रखा हुआ है। तालिबान के इस विरोध पर अभी तक अमेरिका की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि अफगानिस्तान में फंसे कुछ अमेरिकी लोगों को तालिबान ने अफगानिस्तान में रहने की जरूर इजाजत दे दी है।

एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि तालिबान ने 200 अमेरिकी नागरिकों को अफगानिस्तान में रहने देने की सहमति व्यक्त की है। ये नागरिक अफगानिस्तान में चार्टेड प्लेन की उड़ान प्रतिबंधित होने की वजह से काबुल में फंसे हुए हैं।