अफगानिस्तान की सत्ता मिलते ही तालिबानी लड़ाकों का उत्पात भी बढ़ने लगा है। अभी तक पत्रकारों, कलाकारों और आम जनता को निशाना बनाने वाले तालिबानी लड़ाके अब बिल्डिंगों में भी तोड़फोड़ करने लगे हैं।
ऐसे ही दो मामले आज और सामने आए हैं। एक ओर जहां तालिबानी लड़ाकों ने नॉर्वे की एंबेसी पर कब्जा करने के बाद जमकर तोड़ फोड़ की है। उधर दूसरी ओर अहमद शाह मसूद के मकबरे को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया है।
मिली जानकारी के अनुसार तालिबान ने काबुल में नार्वे के दूतावास पर कब्जा कर लिया है। वहां रखी गई शराब की बोतलों और किताबों को इन्होंने नष्ट कर दिया है। ईरान में नॉर्वे के राजदूत सिगवाल्ड हाउगे ने एक ट्वीट में कहा- “तालिबान ने अब काबुल में नॉर्वे के दूतावास को अपने कब्जे में ले लिया है। कहा है कि वे इसे बाद में हमें लौटा देंगे। लेकिन पहले शराब की बोतलें तोड़नी है और बच्चों की किताबें नष्ट करनी है। बंदूकें जाहिर तौर पर कम खतरनाक हैं”।
वहीं दूसरी ओर खबर है कि तालिबान ने अहमद शाह मसूद के मकबरे में भी तोड़फोड़ की है। इस कार्य को मसूद की 20वीं बरसी पर अंजाम दिया गया है। स्थानीय मीडिया ने उन तस्वीरों को जारी किया है, जिसमें समाधि के पत्थर को टूटा हुआ दिखाया गया है।
https://twitter.com/AamajN/status/1435860248024264705
अहमद शाह मसूद को ‘पंजशीर का शेर’ कहा जाता है। ये अफगान मुजाहिदीन के मुख्य नेताओं में से एक थे, जिन्होंने 1989 में सोवियत संघ को हराया था। इसके बाद जब तालिबान ने अपना दायरा बढ़ाया और 90 के दशक में उसने जब अफगानिस्ता की सत्ता संभाली तो अहमद शाह मसूद ने तालिबान के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया था। जिसके बाद नौ दिसम्बर 2001 को एक हमले में उनकी मौत हो गई।
बता दें कि तालिबान ने अफगानिस्तान में 33 मंत्रियों के साथ सरकार गठन का ऐलान कर दिया है। सरकार गठन से पहले तालिबान लगातार शांति और आम माफी की बात कर रहा था, लेकिन तब भी उसकी हिंसा जारी थी, और अब तो और हिंसा बढ़ती दिख रही है।