अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद से देश में रहने वाले नागरिकों लगातार मुसीबतें झेलनी पड़ रही है। हाल ये है कि एक मां अपने बच्चे को बचाने के लिए ब्रिटेन के मंत्रियों से गुहार लगा रही है।
ब्रिटेन पहुंच चुकी एक मां ने अपने बच्चे को बचाने के लिए मंत्रियों से मदद की गुहार लगाई है। बच्चा अपने पिता के साथ काबुल हवाईअड्डे पर था जब वहां आईएसआईएस ने आत्मघाती हमला किया था। इस हमले में पिता की मौत हो गई और बेटा बम विस्फोट में घायल होने के बाद अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहा है।
23 महीने का ये बच्चा कथित तौर पर विस्फोट में छर्रे से घायल हो गया। इस हमले में मारे गए 170 लोगों में उसके पिता और ब्रिटिश दादा का नाम भी शामिल है। द सन की रिपोर्ट के अनुसार, उनकी 19 वर्षीय मां बासबीबी अफगानिस्तान से निकलकर ब्रिटेन आ चुकी है, लेकिन इस सफर में पति, ससुर और बच्चों का साथ छुट गया।
बासबीबी के ससुर इंग्लैंड में टैक्सी चलाते थे, अभी 10 दिन पहले ही उन्हें ब्रिटेन की नागरिकता मिली थी। जहां वो अपने परिवार को तालिबान से बचाकर ब्रिटेन ले जाने आए थे। पूरा परिवार एयरपोर्ट पहुंच चुका था। बासबीबी अंदर थी और उनका परिवार अभी बाहर ही था, वो अपने परिवार का इतंजार कर रही थी कि धमाके से एयरपोर्ट दहल गया। ब्लास्ट के बाद उन्हें बाहर नहीं निकलने दिया गया और ब्रिटेन एयरफोर्स के जहाज से वो ब्रिटेन आ गई।
ब्रिटेन पहुंचने के बाद बासबीबी ने कहा- “मैं जीवित रहने के लिए आभारी हूं, लेकिन इसके लिए बहुत अधिक भावनात्मक दर्द और चोट झेलना पड़ा है।’ बासबीबी का कहना है कि उसकी पांच महीने की बच्ची अभी भी जिंदा है और काबुल में ही है।
रक्षा मंत्रालय ने द सन को बताया कि मासूम मुहम्मद की हालत गंभीर है उसे वहां से फ्लाइट के जरिए लाने में बहुत जोखिम है। बैरन होटल जिसका उपयोग ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा देश छोड़ने वालों को सुविधा देने के लिए किया जा रहा था, ने अपने दरवाजे बंद कर दिए हैं और अंतिम यूके सैनिकों और राजनयिक कर्मचारियों को शनिवार रात काबुल से एयरलिफ्ट कर लिया गया है।
काबुल में ब्रिटिश राजदूत सर लॉरी ब्रिस्टो, जो अब राजनयिक कार्य का नेतृत्व करने के लिए कतर में स्थानांतरित हो गए हैं, उन्होंने कहा- “अब ऑपरेशन के इस चरण को बंद करने का समय है, लेकिन हम उन लोगों को नहीं भूले हैं जिन्हें अभी भी अफगानिस्तान छोड़ने की आवश्यकता है।”
बता दें कि आईएसआईएस के हमले के बाद अफगानिस्तान से लोगों को बाहर निकाले की प्रक्रिया बाधित हो गई है। इस हमले में 170 लोगों की जान चली गई थी, जिसमें 13 अमेरिकी सैनिकों का नाम भी शामिल है।