इंसाफ मे देरी की कहावत सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेश में भी सच साबित होती हैं। लेकिन इस मामले में तो इंसाफ होने में 20 साल की देरी हो गई। आखिरकार शख्स को बेगुनाह साबित किया गया है। हालांकि, इसे साबित करना आसान नहीं था। इसके लिए तकनीक की मदद ली गई। सजा काट रहे शख्स के लिए डीएनए तकनीक और फैमिली ट्री की मदद ली गई। जिसके बाद कोर्ट ने दो दशक से जेल में बंद क्रिस्टोफर टैप को आजाद कर दिया।
मामला अमेरिका का है। यहां 1996 में क्रिस्टोफर पर एक महिला एंगी दोडसे से रेप और हत्या का आरोप लगा। इसके बाद केस दर्ज कर उसकी गिरफ्तारी कर ली गई। करीब दो साल बाद 1998 में उसे दोषी पाए जाने पर सजा सुनाई गई। अदालत से क्रिस्टोफर को 30 साल की सजा मिली। अपनी सजा के 20 साल वह पूरे कर चुका है।
शायद टैप की बेगुनाही साबित होने में देरी ही लिखी थी। पहली बार अप्रैल 2018 में जेनेटिक जिनियोलॉजी तकनीक सुर्खियों में आई। इसी की मदद से पुलिस ने 2019 में एक सीरियल किलर और रेपिस्ट को गिरफ्तार किया। इस पर करीब दर्जन भर हत्याएं और 50 से ज्यादा महिलाओं से बलात्कार के आरोप थे। पुलिस की पूछताछ में संदिग्ध ने आरोप कबूल लिए। इसके बाद क्रिस्टोफर को बेगुनाह साबित करते हुए आजाद कर दिया गया।
क्रिस्टोफर को 2017 में ही थोड़ी राहत मिल गई थी। अदालत से समझौते के बाद उसे रिहा तो कर दिया गया लेकिन मर्डर के चार्ज में वह बंद ही रहा। लेकिन इस मामले की जांच चलती रही। कुछ समय बीत जाने के बाद जांच टीम को महिला एंगी दोडसे के कमरे से स्पर्म और सिगरेट मिली थी। जिसकी मदद से ही असली गुनाहगार पकड़ में आया।

