उत्तर प्रदेश के नोएडा में एक 81 वर्षीय स्केच कलाकार को सात साल से ज्यादा समय तक 17 वर्षीय लड़की के कथित ‘डिजिटल रेप’ के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। समाचार एजेंसी पीटीआई ने एक पुलिस प्रवक्ता के हवाले से बताया कि उस व्यक्ति पर पिछले सात वर्षों में 17 वर्षीय लड़की के डिजिटल रेप का आरोप है। आरोपी की पहचान मौरिस राइडर के रूप में हुई है। हालांकि, पहले समझ लेते हैं कि आखिर डिजिटल रेप क्या है?
‘डिजिटल रेप’ से जुड़ी घटनाओं में महिला या लड़की के साथ जबरन संबंध में रिप्रोडक्टिव आर्गन के अलावा किसी अंग या ऑब्जेक्ट जैसे उंगलियां, अंगूठा या किसी वस्तु का इस्तेमाल किया जाता है। अंग्रेजी में डिजिट का मतलब अंक होता है। जबकि उंगली, अंगूठा, पैर की उंगली जैसे शरीर के अंगों को भी डिजिट के रूप में संबोधित किया जाता हैं। निर्भया कांड के बाद महिलाओं के खिलाफ बढ़ते बलात्कार और यौन उत्पीड़न की घटनाओं पर लगाम कसने के लिए डिजिटल रेप में भी बेहद सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। दिसंबर 2012 तक ‘डिजिटल रेप’ बलात्कार के दायरे में नहीं आता था।
निर्भया सामूहिक बलात्कार के बाद भारत में यौन अपराध को ‘डिजिटल बलात्कार’ के रूप में वर्गीकृत किया गया, जिसके कारण देश के आपराधिक कानूनों में सुधार हुआ। अपराधों के दायरे को ‘बलात्कार’ के रूप में माना जाता है। पुलिस के मुताबिक पीड़िता अपने अभिभावकों के साथ रहती है, जो करीब 20 साल से आरोपी के दोस्त है। डर के चलते लड़की ने शुरूआत में शिकायत दर्ज नहीं करा सकी थी।
हालांकि, बाद में उसने इस मामले में संदिग्ध की गतिविधियों को रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया और बड़े पैमाने पर सबूत एकत्र किए। फिर लड़की ने अभिभावकों को अपनी आपबीती सुनाई, जिसके बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई। इस मामले में पुलिस ने एक्शन लेते हुए रविवार को एक कलाकार-सह-शिक्षक संदिग्ध को गिरफ्तार किया। उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376, 323 व 506 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
सेक्टर 39 एसएचओ राजीव कुमार ने पीटीआई को बताया, “लड़की यहां अपने अभिभावक के साथ रहती है, जो करीब 20 साल से आरोपी का दोस्त है। अभिभावक ने मामले में शिकायत दर्ज कराई थी।” अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तारी के बाद आरोपी को स्थानीय अदालत में पेश किया गया और उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।