भारतीय कंपनियां आखिर अच्छे स्मार्टफोन क्यों नहीं तैयार कर पा रही हैं और क्यों चीनी कंपनियों के भरोसे ही हमें रहना पड़ रहा है। चीनी उत्पादों के खिलाफ देश में बने माहौल के बीच भी स्मार्टफोन को लेकर चीनी कंपनियों पर निर्भरता को देखते हुए यह सवाल उठना लाजिमी है। इसका जवाब कुछ तथ्यों में छिपा है। दरअसल भारतीय कंपनियों को स्मार्टफोन्स के तमाम कंपोनेंट्स का आयात करना पड़ता है और इनकी कीमत डिवाइस की कुल लागत के 85 पर्सेंट के बराबर बैठती है। ऐसे में स्पष्ट है कि भारतीय कंपनियों के लिए कम दाम में स्मार्टफोन तैयार करना मुश्किल काम है। स्मार्टफोन में लगने वाले प्रिंटेड सर्किट बोर्ड्स यानी PCB, चिपसेट्स, डिस्प्ले और कैमरा मॉड्यूल्स को भारतीय कंपनियों को आयात करना पड़ता है।
इन सभी की मैन्युफैक्चरिंग चीन और ताइवान में होती है, जहां से भारतीय कंपनियां आयात करती हैं। ऐसे में चीन से आयात कर स्मार्टफोन तैयार करने और खुद चीनी कंपनियों की ओर से तैयार स्मार्टफोन्स में कीमतों का अंतर देखने को मिलता है। साफ है कि जब तक इन आइटम्स को भारत में तैयार नहीं किया जाता है, तब तक कम दाम में भारत में स्मार्टफोन तैयार करना मुश्किल होगा। असल में भारतीय कंपनियां एक तरह से स्मार्टफोन की मैन्युफैक्चरिंग नहीं बल्कि असेम्बलिंग ही करती हैं।
इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग के जानकार कहते हैं कि भारतीय कंपनियों को अच्छे स्मार्टफोन तैयार करने में कम से कम एक दशक का वक्त लगेगा। इसके लिए भारत को अरबों डॉलर का निवेश करना होगा ताकि मोबाइल कंपोनेंट्स को भारत में ही तैयार किया जा सके। सरकार की ओर से इन्सेंटिव मिलने और बड़ी पूंजी लगाए बिना इस दिशा में सफलता मिलना चुनौतीपूर्ण होगा। भारतीय कंपनियां Qualcomm, Mediatek और सैमसंग जैसी कंपनियों से रिसर्च और डिजाइन के मामले में मदद ले सकती हैं।
माहौल खिलाफ होने के बाद भी खूब बिक रहे चीनी स्मार्टफोन: चीनी कंपनियों के खिलाफ बने माहौल के बाद भी हाल ही में फ्लिपकार्ट और अमेजॉन जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर आयोजित सेल के दौरान बड़े पैमाने पर चीनी उत्पादों की सेल हुई थी। चीनी कंपनी शाओमी अब भी देश के स्मार्टफोन मार्केट में सबसे बड़ी हिस्सेदारी रखती है।
