Investing in Holding Companies: क्या आप जानते हैं कि कुछ ऐसी कंपनियां भी होती हैं, जो कोई सामान नहीं बेचती, कुछ प्रोड्यूस नहीं करतीं और न ही कोई सर्विस मुहैया कराती हैं। यहां तक कि उनका अपना कोई बिजनेस ऑपरेशन भी नहीं होता। फिर भी वे पैसे जमकर कमाती हैं! हो सकता है आपको लग रहा हो कि कम कहीं जालजासी या फ्रॉड करने वाली कंपनियों या शेल कंपनियों की बात तो नहीं कर रहे? जी नहीं, यहां ऐसी किसी कंपनी की बात नहीं हो रही, जो इस तरह के गैर-कानूनी काम करती हैं। हम बात कर रहे हैं उन होल्डिंग कंपनियों की जिनका बिजनेस मॉडल पूरी तरह नियम-कानूनों के दायरे में होता है। सीधे-सीधे बिजनेस ऑपरेशन संचालित किए बिना भी ये कंपनियां कानूनी तरीके से बड़ा मुनाफा कमाती हैं।
होल्डिंग कंपनी का मतलब है ऐसी कंपनियां, जिनका मुख्य मकसद ही सीधे तौर पर कारोबार संचालित करने वाली दूसरी कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदना या ऐसी कंपनियों और एसेट्स में निवेश करना होता है। इस निवेश से होने वाली डिविडेंड इनकम और ब्याज ही इन कंपनियों की कमाई के मुख्य स्रोत होते हैं। टाटा इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन, बजाज होल्डिंग्स, JSW होल्डिंग्स और कामा होल्डिंग्स ऐसी ही कुछ लिस्टेड होल्डिंग कंपनियां हैं।
ऐसी कंपनियों में क्यों लगाएं पैसे?
सवाल ये है कि एक ऐसी कंपनी में जिसका अपना कोई अलग बिजनेस ऑपरेशन नहीं है, जिसकी कोई डायरेक्ट अर्निंग्स या ठोस आउटलुक नहीं है, कोई क्यों निवेश करेगा? और क्या आपको इनमें निवेश करना चाहिए? सबसे पहले इस सवाल का जवाब जान लेते हैं कि होल्डिंग कंपनियों में कोई निवेश क्यों करेगा। दरअसल, ज्यादातर होल्डिंग कंपनियों के वैल्युएशन काफी आकर्षक होते हैं। लिस्टेड होल्डिंग कंपनियों के शेयर आमतौर पर अपने पोर्टफोलियो के वैल्युएशन की तुलना में बड़े डिस्काउंट पर ट्रेड करते हैं। इसीलिए वैल्यू इनवेस्टर इनकी तरफ आकर्षित हो जाते हैं। सीधे शब्दों में कहें तो उनके शेयर ऐसी कीमत पर कारोबार करते हैं जो उनके निवेश के कुल बाजार मूल्य (पोर्टफोलियो मूल्य) से कम होती है। मिसाल के तौर पर कामा होल्डिंग्स के पास दिग्गज केमिकल कंपनी SRF की 50।3 फीसदी हिस्सेदारी है, जिसका मार्केट कैप फिलहाल 68 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है। लेकिन कामा होल्डिंग्स का मार्केट कैप महज 7890 करोड़ रुपये के आसपास है, जो इस कंपनी के सिर्फ SRF में किए गए निवेश के वैल्युएशन के 25 फीसदी से भी कम है। जबकि SRF के अलावा कंपनी के कुछ और निवेश भी हो सकते हैं। लेकिन अगर आप इस आकर्षक वैल्युएशन के कारण इसमें निवेश के लिए बेताब हो रहे हैं, तो पहले इस तस्वीर का दूसरा पहलू भी जान लें। यानी ये समझ लें कि कंपनी के शेयर इतने भारी डिस्काउंट पर क्यों बिक रहे हैं।
क्या है भारी डिस्काउंट की वजह?
होल्डिंग कंपनियों के शेयरों के निवेश के वैल्युएशन की तुलना में डिस्काउंट पर बिकने की एक बड़ी वजह उनमें लिक्विडिटी की कमी है। इन कंपनियों का एवरेज ट्रेडिंग वॉल्यूम अक्सर कम ही रहता है। होल्डिंग कंपनियां दूसरी कंपनियों में बड़ी हिस्सेदारी रखती हैं, जिन्हें कीमत में गिरावट के बिना आसानी से बेचा नहीं जा सकता। इसके अलावा जब कोई होल्डिंग कंपनी अपने निवेश को बेचती है, तो उसे 10 फीसदी की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स भरना पड़ता है, जो उसकी नेट अर्निंग्स को सीधे-सीधे कम कर देता है। इसके अलावा होल्डिंग कंपनी को अक्सर अपनी सहायक कंपनी में हिस्सेदारी बेचने या एसेट्स ट्रांसफर करने के लिए कई कड़े कानूनी प्रावधानों का पालन भी करना पड़ता है, जिसके चलते ऐसा करना आसान नहीं होता।
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क्या आपको करना चाहिए निवेश
अगर आप ऊपर बताई गई दिक्कतों के बावजूद भारी डिस्काउंट पर मिल रही होल्डिंग कंपनियों में निवेश करना चाहते हैं, तो ऐसा कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए आपको यह जरूर देखना होगा कि आप सही वैल्युएशन पर निवेश करें। इसके लिए आपको समझना होगा कि किसी होल्डिंग कंपनी का सही वैल्युएशन कैसे तय किया जाए। होल्डिंग कंपनियां दूसरी कंपनियों के बिजनेस ऑपरेशन से अप्रत्यक्ष तौर पर कमाई करती हैं, इसलिए उनके सही वैल्युएशन का आकलन उनकी अर्निंग्स से नहीं किया जा सकता। इसके लिए उनके निवेश और रियल एस्टेट, अनलिस्टेड शेयर जैसे एसेट्स का वैल्युएशन करना जरूरी है। ट्रेडिंग वॉल्यूम कम होने के कारण इनके बारे में ब्रोकरेज रिपोर्ट्स, रिकमंडेशन्स या खबरों की उपलब्धता भी कम रहती है। इसलिए होल्डिंग कंपनियों के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए उनकी सालाना रिपोर्ट्स को बारीकी से देखना-समझना जरूरी है, क्योंकि सालाना रिपोर्ट में कंपनी के लिस्टेड, अन-लिस्टेट हर तरह के निवेशों का विवरण होता है। अगर आप कंपनियों की फाइनेंशियल रिपोर्ट्स में बताई गई बातों को बारीकी से समझने और उनका विश्लेषण करने में माहिर हैं, तो यह काम अच्छे ढंग से कर सकते हैं। यानी होल्डिंग कंपनियां वैल्युएशन के लिहाज से निवेश की एक यूनीक ऑपर्च्युनिटी दे सकती हैं, लेकिन इसके लिए लिक्विडिटी की कमी, रेगुलेटरी रिस्क और वैल्युएशन से जुड़े पहलुओं को सही ढंग से समझना जरूरी है। कुल मिलाकर, होल्डिंग कंपनियों में पैसे लगाना उन निवेशकों के लिए काफी जोखिम भरा हो सकता है, जो बाजार में नए हैं और कंपनियों के बही-खातों को समझने और उनके निवेश का गहराई से विश्लेषण करने में माहिर नहीं है। साथ ही जो बाजर में किए गए अपने निवेश में लिक्विडिटी को अहमियत देते हैं, उन्हें भी इन कंपनियों से दूर रहना चाहिए।