पिछले साढ़े तीन सालों से भारत रिकॉर्ड स्तर पर रूसी तेल आयात कर रहा था, लेकिन अब उसमें भारी गिरावट दर्ज की गई है। हाल के आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि अमेरिकी निर्णयों का असर वैश्विक ऊर्जा व्यापार पर पड़ने लगा है।

असल में, कुछ दिन पहले ही अमेरिका ने रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों पर कड़े प्रतिबंध लगाए थे। ये दोनों कंपनियां विश्वभर में कच्चे तेल की सबसे बड़ी आपूर्तिकर्ता मानी जाती हैं। इसी कारण इस फैसले का व्यापक असर देखने को मिला है और भारत भी इसकी चपेट में आ गया है।

27 अक्टूबर तक समाप्त सप्ताह के आंकड़े बताते हैं कि भारत को रूस की तरफ से रोज़ाना लगभग 1.19 मिलियन बैरल क्रूड ऑयल की आपूर्ति हो रही थी। लेकिन अगर पिछले दो हफ्तों के आंकड़ों पर नजर डालें, तो यह आपूर्ति पहले के 1.95 मिलियन बैरल से घटकर इस स्तर पर आ गई है। यानी कि इसमें बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।

रूस की सबसे बड़ी तेल कंपनी Rosneft से आपूर्ति में काफी कमी आई है। वहीं, रूस की दूसरी कंपनी Lukoil से तो पिछले कुछ हफ्तों से कोई तेल आयात हुआ ही नहीं है। इन बदले समीकरणों के बीच इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने साफ किया है कि वह अमेरिका द्वारा लगाए गए तमाम प्रतिबंधों का पालन करेगा। हालांकि, कंपनी ने रूस से आने वाले तेल पर कोई सीधी टिप्पणी नहीं की है।

Kpler के लीड रिसर्च एनालिस्ट (Refining & Modeling) सुमित रिटोलिया का कहना है कि “पूरी तरह से रूसी तेल आयात पर रोक लग जाना फिलहाल संभव नहीं दिखता।” उनके मुताबिक, भारत के रिफाइनिंग मार्जिन अभी भी काफी बेहतर हैं। जब तक रिफाइनर पर सीधे-सीधे टैरिफ नहीं लगाए जाते या भारत सरकार अपनी ओर से कोई प्रतिबंध लागू नहीं करती, तब तक रूस से तेल आयात पूरी तरह बंद होने की संभावना कम है।

वैसे समझने वाली बात यह भी है कि रूस में सिर्फ दो ही कंपनियां तेल नहीं दे रही हैं, कई दूसरी छोटी कंपनियां भी मौजूद हैं, ऐसे में वहां से भारत को क्रूड ऑयल मिलता रहेगा। जानकारी के लिए बता दें कि वर्तमान में भारत रूस से सबसे ज्यादा तेल आयात कर रहा है, कुल हिस्से का 35 फीसदी यहां से आ रहा है।

ये भी जानें- आखिर भारत रूस से कितना तेल खरीदता है?