इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने करदाताओं को बड़ी राहत देते हुए फाइनेंशियल ईयर 2019-20 की टीडीएस और टीसीएस की स्टेटमेंट की तारीख को 31 जुलाई तक बढ़ाने का फैसला लिया है। इसके अलावा TDS/TCS के सर्टिफिकेट को जारी करने की तारीख 15 अगस्त, 2020 तक बढ़ा दी है। टैक्सेशन की भाषा के मुताबिक टीडीएस का अर्थ कमाई के स्रोत से ही टैक्स की कटौती किया जाना है। असेसमेंट ईयर 2020-21 के लिए करदाता अपना आयकर रिटर्न 30 नवंबर तक भर सकते हैं। यह फायदा ऑडिट वाले करदाताओं को भी मिलेगा।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने ट्वीट कर इस संबंध में जानकारी दी है। टीडीएस का अर्थ कमाई के स्रोत से ही टैक्स का कलेक्शन है, जबकि टीसीएस का अर्थ कारोबार में टैक्स कलेक्शन से है। टीसीएस वह टैक्स है, जो विक्रेता खरीददार से वसूलते हैं। कुछ खास तरह की वस्तुओं के विक्रेता ही टीसीएस लेते हैं। इन वस्तुओं में मिनरल, टिंबर वुड, स्क्रैप, तेंदु पत्ते इत्यादि आते हैं।
इस बीच किसी भी प्रकार के विवादों में फंसे करदाताओं के लिए राहत वाली बात है कि अब वे विवाद से विश्वास स्कीम का फायदा 31 दिसंबर तक उठा सकते है। इस स्कीम का फायदा लेने पर करदाता को पेनल्टी व ब्याज नहीं लगेगा और केवल टैक्स ही चुकाना होगा। आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 192 कहती है कि प्रत्येक नियोक्ता को कर्मचारी को वेतन का भुगतान करते समय अनिवार्य रूप से कर में कटौती करनी होती है। कर की दर लागू आयकर स्लैब के अनुरूप होनी चाहिए। हालांकि, वित्तीय वर्ष 2021 के लिए कर्मचारियों के लिए उपलब्ध दोहरे आयकर स्लैब के साथ इस पर भ्रम था कि वेतन पर टैक्स कैसे काटा जाना चाहिए।

