वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि सरकार का इरादा कराधान की दर को कम रखना है। जेटली ने यह भी कहा कि कर विभाग को करदाताओं पर भरोसा करने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि कराधान तथा कर विभाग के संदर्भ में जहां कहीं भी कोई दुविधा है उसे दूर किया जा रहा है। जेटली ने कहा, ‘कर विभाग के साथ संवाद में सुगमता बढ़ाने का काम जारी रखा जाएगा। जो भी दुविधा वाले, अस्पष्ट क्षेत्र हैं, मुझे लगता है कि स्पष्टीकरण तथा अधिसूचना के जरिए अब स्पष्ट हो रहे हैं।’
पिछले कुछ महीनों में प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है और करदाताओं ने इससे पहले कर विभाग में सुगमता तथा मित्रवत व्यवहार का ऐसा रुख नहीं देखा होगा। वित्त मंत्री ने यह टिप्पणी ऐसे समय की जब कर प्रणाली को करदाताओं के अनुकूल बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। प्रक्रियाओं को सरल बनाने के मकसद से किए गए विभिन्न उपायों का जिक्र करते हुए जेटली ने कहा कि कर मामलों में अपील के चरण में विवाद समाधान व्यवस्था स्थापित की गयी है।
भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) तथा वित्त, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से शनिवार (2 जुलाई) को आयोजित कार्यक्रम में भाग लेते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि कर आधार व्यापक होने के साथ कर की दर युक्तिसंगत होगी। साथ ही कर विभाग को करदाताओं पर भरोसा करना है। कर चोरी करने वालों के खिलाफ कड़ा संदेश देते हुए जेटली ने कहा कि ऐसे लोगों को गंभीर कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा और सरकार उनके बच निकलने के रास्ते बंद कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘जो लोग लीशटेंसटाइन के खातों से जुड़े हैं, जो एचएसबीसी के खातों से जुड़े हैं और जो अवैध ठहराए गए हैं, उन्हें अभियोजन का सामना करना पड़ रहा है। पनामा दस्तावेज में जिन लोगों के अवैध खाते सामने आये हैं, उनका भी यही हश्र होगा। हमने मॉरीशस के साथ कर संधि को संशोधित किया है ताकि ऐसे कोई रास्ते न हो जिससे लोग भारत में कमाई तो करें पर कोई कर नहीं दें।’
जेटली ने कहा, ‘इसीलिए निवेशकों तथा करदाताओं पर उनके निवासा-स्थान पर आधारित सिद्धांतों के अंतर्गन पर कर लगाये जाने वाले हैं।’उन्होंने कहा कि साइप्रस संधि की पुनर्समीक्षा की गई है और अगले कुछ दिनों में मंत्रिमंडल इसकी मंजूरी दे सकता है। सरकार द्विपक्षीय कर संधि में संशोधन के लिये सिंगापुर के साथ भी बातचीत कर रही है। फिलहाल देश में करदाताओं की संख्या करीब 5.4 करोड़ है।