कोरोना संकट के इस दौर में लोगों के निवेश का तरीका भी बदला है। अब ज्यादातर निवेशक सेविंग स्कीम्स की बजाए शेयर मार्केट की ओर रुख कर रहे हैं। ये दावा एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट में किया गया है।

स्मॉल सेविंग स्कीम्स में रुझान कम: एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट में बताया गया है कि स्मॉल सेविंग्स की कम ब्याज दरों की वजह से निवेशकों का आकर्षण कम हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक पारंपरिक स्मॉल सेविंग्स स्कीमों और बैंक के टर्म डिपोजिटों में निवेश करने वाले अब ज्यादा रिटर्न की उम्मीद में शेयर बाजार में पैसा लगा रहे हैं। आपको बता दें कि स्मॉल सेविंग्स स्कीमों में सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) स्कीम पर फिलहाल ब्याज दर 7.6 फीसदी है।

वहीं, सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम पर 7.4 फीसदी, पीपीएफ (PPF) पर 7.1 फीसदी ब्याज मिल रहा है। वहीं नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC) पर 6.8 फीसदी ब्याज मिलता है।

खुदरा निवेशकों की संख्या में बढ़ोतरी: वहीं, भारतीय शेयर बाजार में निवेशकों का रुख बढ़ा है। आंकड़े बताते हैं कि ब्रोकरेज कंपनियों ने पिछले साल अप्रैल से 31 मई 2021 तक हर महीने औसतन 13 लाख नए डीमैट खाते खोले हैं। ब्रोकरेज कंपनियों और शेयर बाजारों ने पिछले 14 महीनों के दौरान हर महीने 12 से 15 लाख नए डीमैट खाते खोले हैं। इनमे से चालीस प्रतिशत डिमैट खाते बीएसई से जुड़ी ब्रोकरेज कंपनियों द्वारा खोले गए।

वहीं, वित्त वर्ष 2020-21 में खुदरा निवेशकों की संख्या में 1.42 करोड़ की बढ़ोतरी हुई। वहीं, अप्रैल और मई में इनकी संख्या 44 लाख और बढ़ गई। इसके साथ ही आवाजाही पर अंकुशों की वजह से लोग घर पर ज्यादा समय बिता रहे हैं जिससे वे अधिक ट्रेडिंग कर रहे हैं।

बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स अप्रैल, 2020 में 28,000 था, जो फिलहाल 52,000 अंक के स्तर से अधिक पर है। हालांकि एक्सपर्ट को इस बात की आशंका है कि बाजार में रिटेल निवेशकों की बढ़ती भागीदारी वित्तीय जोखिम बढ़ा सकती है।