रियल एस्टेट कंपनी हाउसिंग डवलपमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के डूबने के चलते मुंबई की झुग्गी बस्तियों में रहने वाले सैकड़ों लोग परेशान हैं। स्लम रिहैबिलिटेशन अथॉरिटी ने मंगलवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में कहा कि HDIL ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया है। इसके चलते झुग्गी बस्ती में रहने वाले लोगों को आवास देने की 13 स्कीमें ठप हो गई हैं और करीब 1500 लोगों को उनका घर मिलना बाकी है।
सरकारी एजेंसी की ओर से कोर्ट में दिए गए एफिडेविट में कहा गया कि एयरपोर्ट प्रोजेक्ट के चलते प्रभावित हुए झुग्गी बस्ती के लोगों के पुनर्स्थापन की परियोजना लटक गई है। हाई कोर्ट में स्लम रिहैबिलिटेशन अथॉरिटी ने कहा कि झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोगों का किराया भी नहीं चुकाया जा सका है क्योंकि एचडीआईएल ने खुद को दिवालिया घोषित कर रखा है।
एयरपोर्ट प्रोजेक्ट के चलते प्रभावित हुए 32 झुग्गीवासियों की याचिका पर जस्टिस एससी धर्माधिकारी और आरआई छागला ने सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि एचडीआईएल की ओर से न तो प्रोजेक्ट को ही पूरा किया जा रहा है और न ही उन्हें वैकल्पिक आवास के लिए किराया दिया जा रहा है। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि शुरुआती दिनों में पेमेंट समय पर आती थी, लेकिन फिर वह अटक गई। घर का इंतजार भी लंबा होता जा रहा है।
यही नहीं झुग्गी बस्ती के लोगों ने अपनी अर्जी में सरकारी एजेंसी स्लम रिहैबिलिटेशन अथॉरिटी पर डिफॉल्टर कंपनी के खिलाफ कोई ऐक्शन न लेने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि हमने अप्रैल, 2018 से कई बार शिकायत की, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब झुग्गी बस्ती के लोगों ने अदालत से सरकारी एजेंसी को किराया देने का आदेश जारी करने की मांग की है। उनकी मांग थी कि प्रोजेक्ट के पूरा होने तक उन्हें हर महीने ट्रांजिट रेंट के तौर पर 17,500 रुपये मिलने चाहिए।