पूर्ववर्ती किंगफिशर एअरलाइंस में वित्तीय अनियमितताओं के मामले में जांच का दायरा बढ़ाते हुए धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआइओ) ने विभिन्न बैंकों के पूर्व प्रमुखों से पूछताछ शुरू की है। आरोप है कि उक्त बैंकों ने विजय माल्या की इस विमानन कंपनी के बढ़ते घाटे के बावजूद बिना समुचित जांच के किंगफिशर एअरलाइंस को नया कर्ज दिया था। एसएफआइओ इन आरोपों की भी जांच कर रही है कि किंगफिशर एअरइलाइंस को कर्ज उसके ब्रांडों व अन्य आस्तियों के बढ़ा-चढ़ाकर बताए गए मूल्यांकन के आधार पर दिया गया।
विजय माल्या के खिलाफ तो सीबीआइ व प्रवर्तन निदेशालय सहित कई एजंसियों की जांच चल रही है। सूत्रों ने कहा कि एसएफआइओ ने किंगफिशर एअरलाइंस से जुड़े मामलों में अपनी जांच का दायरा बढ़ाया है। एजंसी अब संदिग्ध कमियों के लिए बैंकों के साथ-साथ उनके शीर्ष प्रबंधन कर्मियों पर ध्यान दे रही है जिन्होंने कंपनी को कर्ज देने में संपत्तियों व देनदारियों का समुचित निरीक्षण नहीं किया है। उन्होंने कहा कि एसएफआइओ ने कुछ सार्वजनिक बैंकों के पूर्व प्रमुखों से पूछताछ की है जिन्होंने किंगफिशर एअरलाइंस को नया कर्ज दिया जबकि उसका घाटा बढ़ रहा था।
कुछ सार्वजनिक बैंकों के पूर्व प्रमुखों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि एसएफआइओ ने उनसे संपर्क किया है लेकिन कहा कि एजंसियां कर्ज देने और अन्य तकनीकियों के बारे में सूचना चाहती है। उन्होंने कहा कि शीर्ष प्रबंधन स्तर पर कोई त्रुटि नहीं हुई थी और उन्होंने सवालों को संबद्ध बैंकों के पास भेज दिया। सूत्रों का कहना है कि एसएफआइओ ने 10 से अधिक बैंकों के पूर्व आला अधिकारियों को समन भेजा है।
इस बारे में एसएफआइओ के निदेशक व कारपोरेट कार्य मंत्रालय को भेजे गए सवालों का कोई जवाब नहीं आया। किंगफिशर एअलाइंस को ज्यादातर कर्ज 2007 से 2010 के दौरान दिया गया जबकि कंपनी का शुद्ध घाटा 2008-09 में बढ़कर 1600 करोड़ रुपए से ज्यादा हो गया। विजय माल्या को ‘विलफुल डिफाल्टर’ घोषित किया जा चुका है। वह मार्च में देश से बाहर जा चुके हैं। बैंकों का उन पर 9000 करोड़ रुपए से अधिक का बकाया है।