कोरोना संकट के चलते दुनिया भर में आईटी सेक्टर में भूचाल की स्थिति है। इसके चलते इस सेक्टर में हजारों लोगों की छंटनी होने की स्थिति है। भारत समेत दुनिया भर के देशों में हजारों कर्मचारियों की कंपनियां छंटनी कर सकती हैं। इंडस्ट्री के जानकारों के मुताबिक नॉन-परफॉर्मेंस, प्रोजेक्ट्स की कमी और वर्कफोर्स को दुरुस्त करने के नाम पर कंपनियां एंप्लॉयीज की छंटनी के मूड में हैं। छोटी कंपनियों के अलावा अब दिग्गज कंपनियां भी छंटनी के मूड में हैं। पहले ही ऑटोमेशन और तकनीक के चलते बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की लगातार दो साल से छंटनी हो रही है। अब कोरोना के संकट ने प्रोजेक्ट्स में कमी पैदा कर दी है, इसके चलते कर्मचारियों की संख्या में और कटौती की जा रही है।
दिग्गज आईटी कंपनी आईबीएम ने दुनिया भर में अपने 2,000 कर्मचारियों की छंटनी की है। कंपनी का कहना है कि वह अपने कारोबार के स्वरूप में बदलाव कर रही है। माना जा रहा है कि आने वाले समय में कंपनी के एक तिहाई कर्मचारी प्रभावित हो सकते हैं। भारत में भी आईबीएम कंपनी सैकड़ों कर्मचारियों की छंटनी कर सकती है। हालांकि आईबीएम ने इस संबंध में अभी कोई टिप्पणी नहीं की है। इसके अलावा Cognizant ने भी हाल ही में भारत में सैकड़ों कर्मचारियों की छंटनी की है। कॉग्निजेंट के कुल 2,90,000 कर्मचारी हैं, जिनमें से 2 लाख कर्मचारी अकेले भारत में ही हैं।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक आईटी सर्विस कंपनियों ने दरअसल अतिरिक्त कर्मचारियों की छंटनी का फैसला लिया है। कंपनियों का मानना है कि ये कर्मचारी नॉन-बिलेबल हैं और प्रोजेक्ट्स की कमी के चलते ऐसे कर्मचारियों का लाभ नहीं लिया जा सकता। आमतौर पर कंपनियां कुछ कर्मचारियों को ही रिजर्व के तौर पर रखती हैं ताकि किसी भी प्रोजेक्ट को तुरंत अमल में लाया जा सके। Cognizant के प्रवक्ता ने कहा कि फिलहाल जो छंटनी हुई है, वे परफॉर्मेंस आधारित हैं।
कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि परफॉर्मेंस मैनेजमेंट एक सामान्य प्रक्रिया है और ऐसा Cognizant समेत तमाम कंपनियों में होता है। जानकारों के मुताबिक कंपनियां जिनकी छंटनी कर रही हैं, उनमें पहले नंबर पर अतिरिक्त कर्मचारियों को रखा जा रहा है। एक एक्सपर्ट ने कहा कि मौजूदा दौर में छंटनी होना स्वाभाविक है क्योंकि कंपनियां कारोबार के मामले में दबाव झेल रही हैं। नई डील्स आना बंद हैं और ऐसे हालात से निपटने के लिए कंपनियों को छंटनी का सहारा लेना पड़ रहा है।