सुप्रीम कोर्ट ने तिहाड़ जेल में बंद सुब्रत राय सहारा की रिहाई के लिए दस हजार करोड़ रुपए का बंदोबस्त करने के प्रयास में सहारा समूह को अपनी चार घरेलू संपत्तियां बेचने की मंगलवार को इजाजत दे दी। इन संपत्तियों की बिक्री से उसे 2160 करोड़ रुपए मिलने की संभावना है।
अदालत ने सहारा समूह को जोधपुर, पुणे, गुड़गांव के चौमा और मुंबई के वसई में अपनी संपत्तियां बेचने की इजाजत दी। अदालत इस तथ्य से संतुष्ट थी कि ये सौदे चार जून के आदेश के अनुरूप हैं जिसमें कहा गया था कि इनकी बिक्री अदालत में पेश वक्तव्य में इंगित अनुमानित मूल्य या संबंधित क्षेत्र के निर्धारित सर्किल रेट से कम कीमत पर नहीं हो।
न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ को सूचित किया गया कि इन संपत्तियों की बिक्री की प्रक्रिया मई, 2015 तक पूरी हो जाएगी और इस बीच, खरीदार सेबी-सहारा रिफंड खाते के नाम ‘पोस्ट डेटेडचेक’ इस आश्वासन के साथ जमा कराएगा कि अमुक तारीख पर इनका भुगतान हो जाएगा। अदालत को यह भी सूचित किया गया कि समूह ने जोधपुर, चौमा और वसई की अपनी संपत्तियों के एवज में आंशिक भुगतान के रूप में 184.5 करोड़ रुपए प्राप्त किए हंै। इसके बाद उसे तीन डिमांड ड्राफ्ट और एक चेक सेबी के वकील को सौंपने की अनुमति दी गई।
पुणे की संपत्ति की बिक्री के बारे में वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन और एस गणेश ने अदालत को सूचित किया कि इससे करीब 550 करोड़ रुपए मिलेंगे। उन्होंने कहा कि अपरिहार्य परिस्थितियों से समझौते पर दस्तखत नहीं हो सके हैं और निकट भविष्य में इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा। इस सौदे में अग्रिम भुगतान के रूप में 50 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है। अदालत ने इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए सहारा को प्रस्तावित सौदे पर आगे कदम बढ़ाने की अनुमति दे दी और कहा कि 50 करोड़ रुपए की राशि सेबी-सहारा रिफंड खाते में जमा कराई जाए।
घरेलू नौ संपत्तियों में से सहारा पहले ही अमदाबाद की संपत्ति बेच चुका है और इससे उसे 411.82 करोड़ रुपए मिले जिसे सेबी के खाते में जमा कराया जा चुका है। लेकिन सहारा समूह को बैंक आफ चाइना की देनदारियों से निकलने की योजना के हिस्से के रूप में अभी 65 करोड़ अमेरिकी डॉलर (करीब 3600 करोड़ रुपए) का ‘जूनियर कर्ज’ लेने के लिए मंजूरी का अभी इंतजार करना होगा। बैंक आफ चाइना ने न्यूयार्क स्थित ड्रीम डाउनटाउन और द प्लाजा होटल और लंदन में ग्रासवेनर हाउस खरीदने के लिए कर्ज दिया था।
इस मामले में सेबी के वकील अरविंद दातार और न्याय मित्र की भूमिका निभा रहे वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफडे ने कहा कि इस सौदे से संबंधित स्क्रो एजंट और सहारा की संभावित देनदारी जैसे बिंदुओं की कुछ शर्तें स्पष्ट नहीं हैं। अदालत ने सहारा समूह से कहा कि न्याय मित्र और सेबी को एक हफ्ते के भीतर अपेक्षित सारी सूचनाएं मुहैया करायी जाएं। अदालत ने इसके साथ ही इस मामले की सुनवाई 17 दिसंबर के लिए स्थगित कर दी।