सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय ने शुक्रवार (26 अगस्त) को उच्चतम न्यायालय में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को 300 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भुगतान करने की पेशकश की लेकिन कहा है कि इस राशि को उनकी तरफ से बैंक गारंटी के रूप में समायोजित किया जाना चाहिए। मुख्य न्यायधीश टी.एस. ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले को सुनवाई के लिए अगले सप्ताह सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल सहारा प्रमुख की तरफ से उच्चतम न्यायालय में पेश हुए थे और उन्होंने इस मुद्दे को पीठ के समक्ष रखा। सिब्बल ने पीठ के समक्ष कहा, ‘मैं 300 करोड़ रुपए अतिरिक्त भुगतान करने के लिए तैयार हूं लेकिन इस राशि को बैंक गारंटी के तौर पर समायोजित किया जाना चाहिए।’
पीठ में मुख्य न्यायधीश के अलावा न्यायमूर्ति ए.एम खानविल्कर और डी.वाई. चंद्रचूड़ भी शामिल हैं। उच्चतम न्यायालय ने 3 अगस्त को सहारा प्रमुख राय की पैरोल अवधि को 16 सितंबर तक बढ़ा दिया था। हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने शर्त रखी थी कि उन्हें सेबी के पास 300 करोड़ रुपए जमा कराने होंगे। राय को उनकी माता का देहांत होने पर मानवीय आधार पर जेल से पैरोल पर रिहा किया गया था। उन्होंने जब 300.68 करोड़ रुपए जमा करा दिए तो अदालत ने उनकी पैरोल अवधि आगे बढ़ा दी। अदालत ने मामले में जमानत के लिए उन्हें शेष राशि जुटाने का अवसर दिया।
उच्चतम न्यायालय ने सहारा प्रमुख को जमानत पर छुड़ाने के लिए समूह को 5,000 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी जुटाने के वास्ते संपत्तियां बेचने की अनुमति दी है। सहारा समूह को राय की जमानत के लिए 5,000 करोड़ रुपए जमा कराने के अलावा 5,000 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी देनी है। राय की अंतरिम जमानत के लिए अदालत ने कड़ी शर्तें रखी हैं। 5,000 करोड़ रुपए नकद जमा कराने और इतनी ही राशि की बैंक गारंटी के अलावा निवेशकों को ब्याज सहित उनकी समूची राशि 36,000 करोड़ रुपए का भुगतान करने को कहा गया है।
राय को पैरोल पर रिहा करते हुए न्यायालय ने कहा था कि वह सहारा संपत्तियों के संभावित खरीदारों से मिलने के लिए पुलिस सुरक्षा में देश के भीतर कहीं भी जाने के लिए मुक्त हैं। शीर्ष अदालत ने इससे पहले सेबी को सहारा समूह की उन संपत्तियों को बेचने की प्रक्रिया शुरू करने को कहा था जो किसी भी तरह की देनदारी से मुक्त हैं और जिनके मालिकाना हक के दस्तावेज नियामक के पास हैं। यह राशि सहारा प्रमुख की जमानत के लिए होगी।