विश्व बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ने से महंगाई को लेकर चिंतित रिजर्व बैंक ने आज मुख्य नीतिगत दर रेपो को 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया। पिछले चार साल से अधिक समय में आज पहली बार रेपो दर बढ़ाई गई। इससे बैंकों का कर्ज महंगा होगा और मकान , वाहन के कर्ज की ईएमआई बढ़ सकती है। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन चली बैठक के बाद आज रेपो दर बढ़ाने की घोषणा की गई। रिजर्व बैंक गवर्नर ऊर्जित पटेल सहित समिति के सभी छह सदस्यों ने रेपो दर बढ़ाने के पक्ष में अपना मत दिया। रेपो दर वह दर होती है जिस पर केन्द्रीय बैंक एक दिन – एक रात की फौरी जरूरत के लिये बैंकों को नकदी उपलब्ध कराता है। इसके साथ ही रिवर्सरेपो दर भी इसी अनुपात में बढ़ाकर छह प्रतिशत हो गई। इस दर पर केन्द्रीय बैंक बैंकों से अतिरिक्त नकदी उठाता है।
रिजर्व बैंक ने इससे पहले 28 जनवरी 2014 को रेपो दर में वृद्धि की थी। उस समय रेपो दर 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर आठ प्रतिशत पर पहुंच गई थी। उसके बाद से इसमें या तो गिरावट आती रही अथवा दर को स्थिर रखा गया। जनवरी 2015 में पहली बार इसमें चौथाई प्रतिशत की कटौती कर इसे 7.75 प्रतिशत पर लाया गया। चालू वित्त वर्ष की आज यह दूसरी मौद्रिक नीति समीक्षा की गई। इसमें रिजर्व बैंक ने कच्चे तेल के दाम बढ़ने से मुद्रास्फीति बढ़ने को लेकर चिंता जताई है। हालांकि केन्द्रीय बैंक ने 2018- 19 के लिये आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 7.4 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।
रेपो दर में वृद्धि का अनुमान लगाते हुये कई बैंकों ने पहले ही अपनी ब्याज दरों में वृद्धि कर दी। स्टेट बैंक , आईसीआईसीआई बैंक और बैंक आफ बड़ौदा ने पिछले सप्ताह अपनी कर्ज दरों में 0.1 प्रतिशत तक वृद्धि कर दी। गवर्नर उर्जित पटेल ने बैठक के बाद कहा कि एमपीसी ने मध्यम अवधि में टिकाउ आधार पर मुद्रास्फीति के चार प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। सरकार ने रिजर्व बैंक को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति को मध्यमकाल में चार प्रतिशत रखने के साथ ही इसमें दो प्रतिशत ऊपर अथवा नीचे का दायरा तय किया है।
उल्लेखनीय है कि अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति 4.58 प्रतिशत रही है। पिछले छह माह में सकल खुदरा मुद्रास्फीति चार प्रतिशत से ऊपर रही है , हालांकि इस दौरान रिजर्वबैंक ने नीतिगत दर में यथास्थिति बनाये रखी। उर्जित पटेल ने कहा कि घरेलू आर्थिक गतिविधियों में हाल की तिमाहियों में सुधार आया है और उत्पादन तथा मांग के बीच जो फासला था वह करीब करीब समाप्त हो गया। निवेश गतिविधियों में भी स्थिति बेहतर हुई है। दिवाला और रिण शोधन अक्षमता कानून के तहत अर्थव्यवस्था के निराश क्षेत्रों में समाधान होने से गतिविधियों को और बढ़ावा मिलेगा। पटेल ने कहा कि मुद्रास्फीति को लेकर रिजर्व बैंक सतर्कता बरतता रहेगा। एमपीसी की अप्रैल में हुई पिछली बैठक के बाद से विश्व बाजार में कच्चे तेल के दाम 66 डालर से बढ़कर 74 डालर पर पहुंच गये। बहरहाल , मौद्रिक नीति की दूसरी समीक्षा के बाद आज बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 276 अंक चढ़कर 35,000 अंक से ऊपर निकल गया।