टाटा संस चेयरमैन पद से हटाए गए साइरस मिस्त्री ने रतन टाटा पर अहंकार में डूबे होने का आरोप मढ़ा है। मिस्त्री ने कहा है कि टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और जगुआर लैंड रोवर की सफलता में टाटा का योगदान ‘छलावा’ है। मंगलवार को मिस्त्री के कार्यालय द्वारा जारी किए गए बयानों में कहा गया है कि ”रतन टाटा ने टीसीएस को आईबीएम के हाथों बेचे जाने की वकालत की थी। जो कि समूह के ताज का नगीना की मौत जैसा अनुभव है। रतन टाटा के ‘अहंकार’ की वजह से ही कोरस डील इतनी महंगी पड़ी।” मिस्त्री ने यह भी आरोप लगाया है कि कोरस को 12 बिलियन डॉलर से ज्यादा में अधिग्रहीत करने का टाटा का फैसला कुछ वरिष्ठ एक्जीक्यूटिव्स की राय के विपरीत था। बयान में कहा गया है, ”12 बिलियन डॉलर से ज्यादा इस्पात निर्माता कोरस को अधिग्रहीत करने का रतन टाटा का फैसला, जब एक साल पहले वह आधी कीमत पर उपलब्ध थी, कुछ बोर्ड मेंबर्स और वरिष्ठ एक्जीक्यूटिव्स की राय के विपरीत लिया गया।”
टाटा केमिकल्स लिमिटेड ने 23 दिसंबर को अपने शेयरधारकों की असाधारण आम बैठक (ईजीएम) बुलाई है जिसमें साइरस मिस्त्री व नुस्ली वाडिया को कंपनी के निदेशक पद से हटाने के प्रस्ताव पर मंजूरी ली जाएगी। उल्लेखनीय है कि टाटा समूह की मुख्य अंशधारक कंपनी टाटा संस से हटाए गए मिस्त्री समूह की कंपनी टाटा केमिकल्स के चेयरमैन बने हुए हैं। टाटा केमिकल्स में प्रवर्तक टाटा संस की 19.35 प्रतिशत हिस्सेदारी है। टाटा संस ने कंपनी से कहा है कि वह मिस्त्री व वाडिया को हटाने के लिए असाधारण आम बैठक बुलाए। इससे पहले टाटा केमिकल्स ने एक बयान में कहा था कि उसके स्वतंत्र निदेशकों ने मिस्त्री के नेतृत्व में भरोसा जताया है। टाटा केमिकलस ने आज बीएसई को सूचित किया कि उसके बोर्ड की बैठक आज हुई जिसमें सी पी मिस्त्री व नुस्ली वाडिया को निदेशक पद से हटाने संंबंधी प्रस्ताव पर विचार के लिए ईजीएम बुलाने का फैसला किया गया।
मिस्त्री ने 25 अक्तूबर को लिखे ई-मेल में कहा था-‘24 अक्तूबर 2016 को निदेशक मंडल की बैठक में जो कुछ हुआ, वह हतप्रभ करने वाला था और उससे मैं अवाक रह गया। वहां की कार्यवाही के अवैध और कानून के विपरीत होने के बारे में बताने के अलावा, मुझे यह कहना है कि इससे निदेशक मंडल की प्रतिष्ठा में कोई वृद्धि नहीं हुई।’