रेल मंत्री सुरेश प्रभु एक बार फिर से यात्री किराया बढ़ा सकते हैं। उन पर इस संबंध में काफी दबाव है। रेलवे के अधिकारियों ने लोकप्रिय रूटस पर जनरल और स्लीपर क्लास के किराए की बसों के किराए से तुलना कर बताया है कि रेल किराया अभी भी कम है। अधिकारियों की गणना के अनुसार दिल्ली से चंडीगढ़ का किराया टूथपेस्ट की छोटी ट्यूब से भी कम है। इस रूट पर बस का किराया काफी ज्यादा है।
लंबे रूट के मामलों में चेन्नई से कोलकाता का जनरल किराया एक किलो चाय के बराबर है। ट्रेन किराया बढ़ाने के लिए इस तरह के 20 उदाहरण दिए गए हैं। रेलवे में यात्री किराए का घाटा बढ़कर 32 हजार करोड़ रुपये हो चुका है। साथ ही रेलवे को सातवां वेतन आयोग भी लागू करना होगा। इसके चलते उस पर बोझ और बढ़ेगा। इसी के चलते किराया बढ़ाने की कवायद चल रही है।
हालांकि प्रभु किराया बढ़ाना नहीं चाहते। उन्होंने निर्देश दिया है कि पहले गैर किराया रहित क्षेत्रों पर ध्यान दिया जाए। रेलवे नौकरशाहों को उम्मीद है कि मई में पांच राज्यों के चुनाव नतीजों के बाद किराया बढ़ाया जा सकता है। बता दें कि रेल मंत्री ने इस साल बजट में किराया नहीं बढ़ाया है। हालांकि पिछले साल भी उन्होंने ऐसा ही किया था। लेकिन बाद में अलग-अलग चरणों में रेलवे ने किराया बढ़ा दिया था। इसमें न्यूनतम किराया, प्लेटफॉर्म टिकट शामिल थे।