बैंकिंग सेक्टर में एक तरफ जहां सरकारी बैंको ने बैड लोन को कम करने का काम किया है, वहीं इस मामले में प्राइवेट बैंकों का प्रदर्शन काफी लचर रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के एनपीए में 80,000 करोड़ रुपये की गिरावट दर्ज की गई है, जबकि निजी क्षेत्र के बैंकों का एनपीए 6000 करोड़ रुपये बढ़ गया है। सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों के बैड लोन यानी NPA (Non Performing Assets) में 7.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। पिछले वर्ष की दूसरी तिमाही में 9,92,964 करोड़ रुपये के मुकाबले सितंबर 2019 में यह आंकड़ा 9,18,487 करोड़ रुपये हो चुका है।
गौरतलब है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) ने अपनी कुल NPA राशि में 10 प्रतिशत की कमी दर्ज की और वित्त वर्ष 2019 के दूसरी तिमाही में 8,07,937 करोड़ रुपये के मुकाबले, वित्त वर्ष 2020 के दूसरी तिमाही में यह राशि 7,27,296 करोड़ रुपये हो गई। यह आंकड़ा केयर रेटिंग ने अपने रिसर्च के बाद सार्वजनिक किया है। गौरतलब है कि पिछले साल की दूसरी तिमाही में बैंकों ने अपने ग्रॉस एनपीए में 18.9 फीसदी इजाफे की बात कही थी। तब यह राशि 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक बताई गई।
भारतीय स्टेट बैंक ने अपने एनपीए में 44,000 करोड़ रुपये की कमी की बात बताई है। एक साल पहले इस बैंक पर 2,05,864 करोड़ रुपये का बैड लोन था। लेकिन, अब यह घटकर 1,61,636 करोड़ रुपये हो चुका है।
हालांकि, सार्वजनिक बैंकों से अलग निजी बैंकों के एनपीए में बढ़ोतरी हुई है। केयर रेटिंग्स के मुताबिक निजी बैंकों का ग्रॉस एनपीए वित्त वर्ष 2019 के दूसरी तिमाही के दौरान 1,85,027 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2020 के दूसरी तिमाही में 3.3 प्रतिशत की दर से बढ़कर 1,91,191 करोड़ रुपये हो गई।