जेट एयरवेज के वित्तीय संकट की रपटों के बीच केंद्रीय नागर विमानन मंत्री सुरेश प्रभु ने मंगलवार (21/08/2019) को स्पष्ट किया कि निजी एयरलाइंस को अपनी चुनौतियों से खुद निपटना होगा, सरकार की भूमिका तो केवल नीतिगत स्तर की ही हो सकती है। मंत्री का यह बयान ऐसे समय आया है जबकि एयरलाइन उद्योग संकट से गुजर रहा है। कच्चे तेल के ऊंचे दाम और कड़ी प्रतिस्पर्धा से जूझना पड़ रहा है, जिससे उनका मुनाफा भी घट रहा है। जेट एयरवेज की मौजूदा स्थिति के बारे में पूछे जाने पर प्रभु ने कहा, ‘‘हमें उनकी स्थिति की जानकारी नहीं है।’’ पिछले 25 साल से उड़ान सेवाएं दे रही पूर्ण सेवा विमानन कंपनी इस समय वित्तीय संकट से जूझ रही है। इससे पहले इसी महीने कंपनी ने जून तिमाही नतीजों की घोषणा टाल दी थी। हाल के सप्ताहों में जेट एयरवेज के शेयर मूल्य में भी गिरावट आई है।

प्रभु ने साक्षात्कार में कहा, ‘‘हमें उनकी स्थिति की जानकारी नहीं है। जहां तक निजी एयरलाइंस का सवाल है, उन्हें अपने मुद्दों से खुद ही निपटना होगा। मंत्रालय सिर्फ नीतिगत पहलू पर गौर कर सकता है।’’ जेट एयरवेज वित्तीय संकट से जूझ रही है। कंपनी ने 9 अगस्त को जून तिमाही के अनांकेक्षित नतीजों को टाल दिया था। एयरलाइन के निदेशक मंडल की 27 अगस्त को बैठक होने जा रही है जिसमें 30 जून को समाप्त तिमाही के नतीजों पर विचार किया जाएगा और उसे मंजूरी दी जाएगी।
गौरतलब है कि इससे पहले ही जेट एयरवेज के पायलटों की यूनियन नेशनल एविएटर्स गिल्ड (एनएजी) ने बताया था कि उड्डयन क्षेत्र वित्तीय रूप से ‘संकट’ के दौर से गुजर रहा है, इसलिए वे कंपनी के साथ सहयोग की कोशिश कर रहे हैं। यह बयान ऐसे समय आया है, जब एयरलाइन ने कहा कि वह लागत घटाने के लिए अपने कर्मचारियों और प्रमुख हितधारकों के साथ वेतन में कटौती जैसे कदम उठाने के लिए चर्चा कर रही है।

यूनियन ने शनिवार को एक बयान में कहा, “एनएजी को यह अहसास है कि उड्डयन क्षेत्र अशांति के दौर से गुजर रहा है। ईंधन कीमतें बढ़ी हुई हैं, रुपया सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच चुका है और विमान किराए भी कम हैं। इन कारणों से सभी विमानन कंपनियां चुनौतियों से गुजर रही हैं। यूनियन ने कहा, “लागत घटाने और सेवा मानकों को बढ़ाने के लिए हम प्रबंधन के साथ बैठकें करके और समाधान का हिस्सा बनकर इन चुनौतियों का सामना करने में हमारी कंपनी की सहायता करने का प्रयास कर रहे हैं।”