सरकारी सब्सिडी के वितरण के लिए पूरी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) योजना डाक बैंक चला सकता है जो डाक विभाग के तहत एक नया भुगतान बैंक होगा। एक आधिकारिक स्त्रोत ने कहा, ‘पोस्ट बैंक की स्थापना के लिए पहले 300 करोड़ रुपए की शुरूआती पूंजी की मांग की गई थी जिसे बढ़ाकर 800 करोड़ रूपए कर दिया गया है क्योंकि एक प्रस्ताव है कि पूरी डीबीटी योजना और डाक विभाग के तहत चल रहे मौजूदा बचत खाते इसके दायरे में लाए जाएं।’

अधिकारी ने कहा कि सार्वजनिक निवेश बोर्ड (पीआईबी) इस प्रस्ताव पर 15 जनवरी को होने वाली अपनी बैठक में विचार करेगा और फिर इसे अंतिम मंजूरी के लिए आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) को भेजेगा। भारतीय रिजर्व बैंक ने डाक विभाग को भुगतान बैंक का लाइसेंस प्रदान किया है, जिसके पास देश भर में 1.55 लाख शाखाएं हैं और वह पहले से ही वित्तीय सेवाओं का परिचालन करता है।

भुगतान बैंक की पायलट परियोजना जनवरी 2017 से शुरू होगी जबकि पूर्ण परिचालन 7 मार्च, 2017 से आरंभ होगा। डीबीटी योजना के तहत सरकार सब्सिडी के हकदार लोगों के बैंक खातों में सीधे सब्सिडी का हस्तांतरण करती है। इस योजना के तहत घरेलू एलपीजी कनेक्शन संबंधी डीबीटी समेत करीब 35-40 सरकारी योजनाओं की सब्सिडी शामिल है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 27 दिसंबर तक विभिन्न योजनाओं के जरिये लाभार्थियों को 40,000 करोड़ रुपए पहुंचाए जा चुके हैं।

विश्व बैंक और बार्कलेज समेत 40 अंतरराष्ट्रीय वित्तीय समूहों ने भुगतान बैंक के लिए डाक विभाग के साथ भागीदारी में रुचि दिखाई है। डाक विभाग ने मैकिंजी, केपीएमजी, अर्न्स्ट एंड यंग और प्राइसवाटरहाउसकूपर्स समेत छह परामर्शकों के नाम विचार के लिए चुने हैं। उम्मीद है कि डाक विभाग इस महीने के अंत तक भुगतान बैंक की स्थापना के लिए परामर्शक के नाम को अंतिम मंजूरी दे सकता है।

मार्च, 2015 के अंत तक डाक विभाग के पास 20 लाख बचत खाते थे जिनमें कुल 47,800 करोड़ रुपए जमा थे। डाक विभाग की भुगतान बैंक शाखा द्वारा इन खातों के प्रबंधन का भी प्रस्ताव है। आरबीआइ के दिशानिर्देश के मुताबिक भुगतान बैंक सीमित मात्रा में धन जमा करने और मनीआॅर्डर की सुविधा प्रदान करेगा। उसे कर्ज देने की अनुमति नहीं होगी।